मेंस्ट्रुअल अवेयरनेस की कमी : भाई ने मार डाला बहन को

आज के आधुनिक युग में मेंस्ट्रुअल अवेयरनेस की कमी से किस हद का नुक्सान हो सकता है, ये महाराष्ट्र में हुई दर्दनाक घटना से समझा जा सकता है, जब 12 साल की बहन को हुई माहवारी तो भाई ने संबंध बनाने के शक में पीट कर की हत्या करदी।

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मिस्बाह
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menstrual hygiene

Image Credits: Ravivar vichar

लड़कियों को यदि पीरियड्स के बारे में सही जानकारी न हो तो वो मानसिक तनाव से गुज़रती हैं और कई तरह के अंधविश्वासों का शिकार हो जाती हैं. पीरियड्स के बारे में पुरुषों को जानकारी न होने की वजह से पीरियड्स कंट्रोल करने का एक और ज़रिया बन जाता है. आज के आधुनिक युग में भी लोग कितने अनजान है और जानकारी की कमी से किस हद का नुक्सान हो सकता है, ये महाराष्ट्र के शांतिनगर इलाके में हुई दर्दनाक घटना से समझा जा सकता है. 

यहां एक 30 साल के भाई ने अपनी 12 साल की बहन की हत्या कर दी. वजह थी उसके पीरियड्स का शुरू होना और भाई को इस नेचुरल प्रोसेस की कोई जानकारी न होना. पीरियड्स शुरू होने से लड़की के कपड़े खून से लथपथ हो गए. भाई ने देखा तो बहन के चरित्र पर शक किया. कई दिनों तक बहन को खूब मारा-पीटा, जिसके बाद उसने दम तोड़ दिया. हिंसा की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. लड़की के शव को हिरासत में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. मामले की जांच शुरू हुई और भाई को हिरासत में लिया गया. 

पता चला कि लड़की के माता पिता गांव में रहते हैं और वे अपने भाई-भाभी के साथ रहती थी. भाई गार्ड की नौकरी करता है. बहन के कपड़ों पर खून देख, भाई ने लड़की से साई तरह के सवाल किये. सही जानकारी न होने की वजह से लड़की संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई. जिसकी वजह से भाई को गुस्सा आ गया. लड़की की भाभी ने अपने पति को बताया कि उसकी बहन का कहीं अफेयर है और उसे ब्लीडिंग संबंध बनाने की वजह से हुई है. यह बात सुन कर भाई का गुस्सा भड़क गया, जिसके बाद कई दिनों तक लड़की को प्रताड़िया किया. हालत ज़्यादा खराब हो जाने की वजह से उसे अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने बताया कि वह मर चुकी है. 

लड़की की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम हुआ. जिसमें उसके चेहरे, गर्दन, और पीठ पर चोट के निशान पाए गए. पुलिस ने भाई से पूछताछ की, और उसने अपना गुनाह कबूला. पुलिस ने आरोपी के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार  कर लिया है.

पीरियड्स की सही जानकारी न होने की वजह से ये पहली मौत नहीं है. नेपाल में 5 में से 1 महिला पीरियड्स के समय घर से अलग एक झोपड़ी में रहती है. कभी बाढ़ का पानी तो कभी झौपड़ी में धुआं घुस जाने से 4 लड़कियों की मौत हुई थी. आज भी भारत में 2 करोड़ 30 लाख लड़कियां पीरियड शुरू होते ही पढ़ाई छोड़ देती हैं. 70 % भारतीय लड़कियां पीरियड्स शुरू होने से पहले अनजान होती हैं. भारत में सिर्फ 36% महिलाएं और लड़ियां सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल करती हैं. मेंस्ट्रुअल अवेयरनेस न होने से कई तरह की बीमारियां होती हैं. इस मुद्दे पर खुलकर बात न कर पाने की वजह से सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता. आज अर्बन इंडिया पीरियड लीव पर बहस कर रहा है, पर कस्बों और गांवों में पीरियड का नाम आते ही चुप्पी साध ली जाती है. मानव शरीर के इस नेचुरल प्रोसेस पर जागरूकता फैलाना, खुलकर बात करना, लड़कियों की परेशानियों और चुनौतियां का समाधान ढूंढ़ना कितना ज़रूरी हो गया है आप समझ ही गए होंगे.   

आईपीसी की धारा 302 (हत्या) सैनिटरी नैपकिन मेंस्ट्रुअल अवेयरनेस पीरियड्स महाराष्ट्र