'कलाक्षेत्र' में भी 'Me Too'

शिकायत दर्ज करीहाल ही में हुई एक घटना ने 1936 से कला के क्षेत्र में नाम कमा रही इस संस्था को कटघरे में ला खड़ा किया. एक पूर्व छात्रा ने कलाक्षेत्र स्कूल में सहायक प्रोफेसर हरि पदमन के खिलाफ यौन उत्पीड़न की.

author-image
मिस्बाह
एडिट
New Update
kalakshetra protest

Image Credits: Google News

कला की दुनिया में कलाक्षेत्र का नाम बड़े आदर से लिया जाता है. लेकिन, शिकायत दर्ज करीहाल ही में हुई एक घटना ने 1936 से कला के क्षेत्र में नाम कमा रही इस संस्था को कटघरे में ला खड़ा किया. एक पूर्व छात्रा ने कलाक्षेत्र स्कूल में सहायक प्रोफेसर हरि पदमन के खिलाफ यौन उत्पीड़न की. उनकी शिकायत के बाद चेन्नई पुलिस ने हरि पदमन पर आईपीसी की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न), 506 (आपराधिक धमकी) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 (महिला के उत्पीड़न के लिए दंड) के तहत मामला दर्ज किया. इस घटना के बाद से मानो कलाक्षेत्र में MeToo मूवमेंट ही शुरू हो गया. करीब 100 छात्राओं ने सहायक प्रोफेसर और तीन रिपर्टरी कलाकारों के खिलाफ यौन उत्पीड़न, बॉडी शेमिंग और मौखिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि ये केसेस 2008 से लगातार हो रहे हैं जिसे अब रोकना ही होगा.  

कई छात्रों और शिक्षकों ने बताया कि इस घटना के बाद कई और महिलाओं ने भी गलत व्यवहार के आरोप लगाए.  जैसे ही वहां एकजुटता बढ़ने लगी, एडमिनिस्ट्रेशन शिकायत न करने का दबाव बनाने लगा और फिर भी शिकायत करने की हिम्मत करने पर 'बुरे परिणाम' की चेतावनी दी. एक रिपर्टरी सदस्य ने कहा, 'सीनियर छात्रों पर उन पत्रों पर हस्ताक्षर करने का दबाव है जिसमे लिखा है  'हम उनकी <आरोपी शिक्षक की> उपस्थिति में सुरक्षित महसूस करते हैं'. राज्य महिला आयोग ने बताया कि उन्हें शिक्षकों के खिलाफ यौन, मौखिक और मानसिक उत्पीड़न की सौ से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं. मुख्यमंत्री सीएम एम के स्टालिन ने छात्राओं का साथ देते हुए आरोप सिद्ध होने पर शिक्षकों को कड़ी सज़ा देने का फैसला सुनाया.  

kalakshetra

Image Credits: Google News

एक कॉलेज की घटना मुख्यमंत्री के कानों तक कभी न पहुंचती अगर 100 और छात्राएं आवाज़ न उठातीं.  शायद, इन 100 छात्राओं की आवाज़ को कभी हिम्मत न मिलती अगर उस एक छात्रा ने गलत को गलत कहने की हिम्मत न करी होती. इन छात्राओं की एकजुटता ने राज्य महिला आयोग से लेकर मुख्यमंत्री तक का साथ जीत लिया.  महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और शोषण के बढ़ते मामलों पर यदि विराम लगाना है तो गलत के ख़िलाफ़ साथ मिलकर आवाज़ उठानी होगी.