लड़कियों से जुड़े अपराध...आखिर कब तक ?

हाल ही में दो आपराध सामने आए है जिनमें छोटी बच्चियों को मार डाला गया है. एक अपराध है  दिल्ली से और एक है आंध्र से. दोनों ही अपराध में एक बात समान थी. वो थी विक्षिप्त मानसिकता.

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रिसिका जोशी
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crime against girls statistics

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हाल ही में मेरे सामने दो ऐसी खबरें आ चुकीं है जिन्होंने मुझे अंदर तक तोड़ कर रख दिया है. मुझे आज आप लोगों से  ये बात  पूछनी है की लड़कियों ने ऐसा क्या गलत कर दिया है, जो उनको इस कदर नफरत का सामना करना पढ़ रहा है...हमनें ऐसा क्या क्या कर दिया है जो हर वक़्त, इस दुनिया के सबसे बेरहम अपराध हमारे नसीब में आते है. 

ये बात मैं आप लोगों से पूछना चाहती हूं, क्या सच में हम इतने गलत है... हम सच में इतनी बुरे है...हमनें सच में किसी का इतना बुरा नुक्सान किया है...कि हमें इस दुनिया में इस तरह के अपराधों का सामना करना पड़ेगा? किसी भी लड़की से बात करो वो, वो बात ही देगी की उसके साथ भी कोई ना कोई अपराध हो चुका है. अब हालात तो ये है, कि कुछ बातों को हम लड़कियों ने अपना नसीब समझ लिया है, और जैसा है वैसा का वैसा मान लिया है... 

अगर आज रास्ते पर चलते वक़्त कोई लड़का गन्दी नज़रों से मुझे देखेगा, तो मैं उस बात पर कुछ नहीं बोलूंगी क्योंकि मुझे पता है ये तो हर दिन ही होगा मेरे साथ. अगर कोई लड़का मुझे देखकर कोई बढ़ा कमेंट पास करेगा तो भी शायद मैं कुछ नहीं बोलूंगी क्योंकि मैंने वैसा का वैसा एक्सेप्ट कर लिया है...

जानती हूं की ये भी गलत है, बहुत गलत है, लेकिन आप खुद बताइए, क्या करूं मैं? ये तो मेरे साथ हर दिन ही होता है, हर दिन कितने लड़कों से लड़ूंगी मैं? और फिर अगर मैं कुछ बोलूंगी भी तो भी तो आप लोग मेरी ही गलती मान के आगे बढ़ जाओगे... और बोल दोगे की वो तो लड़के है, वो तो ऐसा ही करेंगे तुम्हे खुद को संभालना पड़ेगा... 

ऐसा क्यों नहीं होता कि घर पर इन लड़कों को ये सिहकया जाए कि एक लड़की को कितना गंदा महसूस होता है जब तुम उन्हें ऐसे देखते हो... उनको क्यों नहीं समझाया जाता, कि ये सब उनकी मां, बहन के साथ भी हो रहा है... उनको क्यों नहीं बताया जाता कि एक उनकी मां और बहन भी उनके जैसे किसी लड़के की गन्दी नज़र का शिकार हर वक़्त होती है. ज़रा एक बार समझा के तो देखिए!

चलिए हम तो फिर भी ये सब है दिन महसूस कर रहे है... और आप भी बोल देते है कि हम लड़कियों की ही गलती होगी... हम ही लड़कों को हमारे साथ ये सब करने पर मजबूर करते है...हम ही उन्हें उकसाते है...और हम भी आपकी बात मान लेते है और अपने आप को ढक कर बाहर निकलते है...डरे हुए रहते है... हर दिन घर पहुँच के सोचते है कि आज तो बच गए कल का कल सोचेंगे...

लेकिन मुझे ना आपके सामने हाल ही में हुए दो अपराधों की बात करनी है, जो लड़कियों (crime against girls) के साथ हुए है...

Andhra Pradesh Minor Rape and Murder

चलिए ज़रा इस अपराध के बारे में बात करते है और आपसे पूछते है कि इसमें किसकी गलती थी...हाल ही में आंध्र प्रदेश में एक 8 साल की लड़की का रेप हुआ. वो पार्क में खेल रही थी. 3 rd क्लास की बच्ची, मासूमियत के साथ अपना बचपन जी रही थी. घर वालों ने भी हर दिन की तरह उसे खेलने भेज दिया था. 3 लड़के जो कि 12 और 13 साल के है, और उसी के स्कूल में पढ़ते थे. 

उस लड़की को जानते थे. वहीँ खेलने पौहच गए... वो छोटी सी बच्ची भी इन्हे जानती थी...ये भैया तो उसके स्कूल में ही पढ़ते थे. तो उस छोटी सी बच्ची ने भी कुछ नहीं बोला और मासूमियत के साथ उनकी लड़कों के साथ खेलने लगी...ये 3 लड़के उसे अकेली जगह पर लेकर गए और बेरहमी से उस लड़की का रेप किया. तीनों ने उस छोटी सी बच्ची को वो दर्द दिया...

इनका मन फिर भी भरा नहीं था, डर था कि लड़की कहीं अपनी घर पर बता ना दे, तो इन्होनें उस छोटी सी बच्ची को मार डाला...और उसे एक इरीगेशन कैनाल में फेक दिया...अब मैं आपसे पूछती हूं कि इस बार किसकी गलती थी, उस ज़रा सी बच्ची की, जिसे कुछ पता ही नहीं है...? उसकी थी? मैं बस मासूम थी, लड़कों को जानती थी तो उन पर विश्वास करके उनके साथ खेलने लगी...

Delhi man killed his 3 days old daughters in the desire of a boy

एक और केस बताती हूं आपको... फिर से वही सवाल कि गलती किसकी है...पलहेवाले केस से थोड़ा अलग है ,लेकिन फ्री भी 2 मासूम लड़कियों और एक मां को ही झेलना पड़ें है उसके नतीजे. हाल ही में दिल्ली के एक आदमी ने अपनी 2 जुड़वा बेटियों को जो कि सिर्फ 3 दिन की थी, उन्हें मार डाला... कारण था एक लड़के की चाह...

वो लड़कों की चाह में इतना पागल हो गया कि अपनी 3 दिन की बेटियों को भूखा रखा और उन्हें  मार डाला. इससे पहले भी वह अपनी बीवी की प्रेगनेंसी में उसे सेक्स डेटर्मिनेशन के लिए ले गया था. और जब पता चला कि पैदा होने वाली बच्चियां है, उसने उनको गिराने की कोशिश की थी.

उस वक़्त इस आदमी की बीवी अपने मायके आ गयी थी और अपनी बच्चियों को बचा लिया. लेकिन उनके जन्म के बाद मां जब हॉस्पिटल में होती है, वह आदमी उन लड़कियों को लेकर वहां से चला गया और उन्हें मार डाला.

अब मैं फिर पूछती हूं कि यहाँ गलती किसकी थी, उस मां की, या उन दो मासूम बच्चियों की जिन्हे दुनिया में आकर मात्र 3 दिन हुए थे.

महिलाओं के प्रति अपराध क्यों बढ़ रहे है ? 

परेशानी पता है क्या है...परेशानी है कि हम लड़कियों की गलती इसीलिए बोल देते है क्योंकि वो आसान है. एक लड़के को समझाना हमें मुश्किल लगता है... एक लड़के या आदमी को हमें बोलना मुश्किल लगता है.

हमें लगने लगा है कि लड़कियां समाज का कमज़ोर वर्ग है और इसीलिए इन्हे कुछ भ्ही कहना...इन्हे टोकना, इनपर अत्याचार करना, इनकी ना सुनना, इन्हें सहने देना... आसान है. आधे लोग तो इसीलिए नहीं बोलते क्योंकि उनके साथ थोड़ी हो रहा है... जब तक दूसरों के साथ हो रहा है तब तक ठीक है. जिस दिन खुद पर बीतेगी उस दिन  करेंगे जो करना है.

लेकिन फिर भी मैं  आपसे पूछती हूं कि आपकी इस सोच का शिकार तो हम लड़कियां बन रहीं है ना. आप इंतज़ार करते है आपके परिवार पर आंच आने का. लेकिन फिर भी सहना तो हम लड़कियों को ही पड़ता है ना. 

लेकिन अब बस... अब  बात हद से आगे बढ़ चुकी है...तो मैं एक लड़की होने के नाते हर लड़की से ये रिक्वेस्ट करना चाहती हूं की समाज कुछ नहीं करेगा, जो करना है तुमको करना है... आवाज उठाना शुरू करो... कुछ गलत होता दिखे तो बोलो... अगर तुम भी अपने ऊपर होना का इंतज़ार करोगी तो तुम्हारे साथ भी जब होगा तब कोई कुछ नहीं बोलेगा... बदलाव हमें ही लाना पड़ेगा. जब ही कुछ गलत लगता है तो अपनी आवाज सब तक पहुंचना सीखो... ज़रूरत पड़े तो लड़ो भी, लेकिन बस चुप मत रहना... क्योंकि ये लोग तब तक नहीं सुधरेंगे, जब तक तुम और हम अपनी आवाज नहीं उठाएंगे.

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