मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सिवनी (Seoni) जिले में महिलाओं को सड़कों पर उतरना पड़ा. ये वो महिलाएं जिसके लिए सरकार और शासन के आला अफसर मंचों से मदद का दावा करते हैं. महिला सशक्तिकरण के नाम पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के दावे सिवनी शहर की सड़कों पर खोखले नज़र आए. महिलाओं ने स्थानीय बैंक के मैनेजर पर गंभीर आरोप लगाए. बैंक के सामने प्रदर्शन किया. दरअसल सिवनी के छपरा ब्लॉक (Chhapra Block) के स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं का आरोप है- "लगभग डेढ़ साल से हमारी फाइल बैंक में पड़ी है. हमारे खाते में सीसीएल (CCL) का पैसा जमा नहीं हो रहा. मैनेजर से मिले तो फ़ाइल एक तरफ पटक दी. अड़ गए कि आपका काम नहीं होगा."
छपरा ब्लॉक के स्वयं सहायता समूह (SHG) कि इन महिलाओं का यह पहला मामला नहीं है. ऐसी परेशान होकर समूह की महिलाएं कई शहरों में भटकते हुए देखी जा सकती हैं. एक ओर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) इन बहनों को आश्वस्त करते हैं कि कोई परेशानी नहीं आएगी. समूह के गठन से लगा कर ग्राम संगठन, सीएलएफ और बैंक सखी (Bank Sakhi) जैसे बड़े तामझाम की व्यवस्था आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) की है. बावजूद समूह में जुड़ने वाली खेतिहर और मजदूर महिलाओं की निरक्षरता का फायदा बैंक के अफसर उठा कर झिड़क देते हैं.
सिवनी में बैन के सामने आक्रोशित महिलाओं का हुजूम (Image Credits: Ravivar vichar)
सिवनी के केस में यदि मान भी लिया जाए कि समूह की अध्यक्ष और सचिव से लगाकर ऊपर स्तर पर कागज़ों की खानापूर्ति में कमी रह गई. लेकिन दीदियों की इस पीड़ा को नाकारा नहीं जा सकता कि उनकी फ़ाइल काफी समय से बैंक के टेबल पर धूल फांक रही है. वर्ना बारिश के इस मौसम अपने कामकाज छोड़ ये महिलाएं सिवनी के सड़कों पर नहीं भटकती.
चलिए मान लिया कि कागज़ों और फॉर्म में कमी रह गई. और यह भी मान लिया जाए कि महिलाओं ने समय पर इस फॉर्म को ठीक नहीं किया,लेकिन बैंकअधिकारी को ये हक़ नहीं कि गांव की इन भोली-भाली महिलाओं को ऑफिस और केबिन से चलता कर दे. इन्हे समझाया जाना था. फॉर्म को पूरा करवाना था. कमी वाले डॉक्युमेंट्स की लिस्ट देनी थी. शायद ऐसा नहीं हुआ. इस केस में आजीविका मिशन प्रबंधकों को महिलाओं की बात समझना होगी. और यदि समूह की प्रक्रिया में कोई कमी है तो पूरा करे और बैंक प्रबंधन की तरफ कोई कमी रही तो ऐसा प्रबंध किया जाना चाहिए कि जिले के और समूह की दीदियां बैंकों के सामने हक़ की योजनाओं के लिए गिड़गिड़ाना न पड़े. अन्यथा सरकार की लाड़ली बहनें और आजीविका मिशन के समूह की दीदियों की दशा देख व्यवस्थाएं शर्मिंदा होती रहेंगी.