सुरक्षा का डर हर जगह, हर वक़्त

एक तरफ जहां हमने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया, वहीं दूसरी ओर NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) ने बताया कि साल 2023 में यौन उत्पीड़न के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई. हर 74 सेकंड में महिलाओं के ख़िलाफ़ एक अपराध रजिस्टर हुआ.

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मिस्बाह
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भला किसे त्यौहार मनाना नहीं पसंद, नए कपड़े, स्पेशल पकवान, मेहमानों का स्वागत, और ढेर सारी खुशियां. ये पढ़ते ही आप सोचने लगे होंगे कि अगला त्यौहार कब आ रहा है. पर, क्या सभी को त्योहारों की इतनी ही ख़ुशी है ? या कोई ऐसा भी है, जिसके त्यौहार शब्द सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं?  वैसे तो त्यौहार खुशियां बांटने का बहाना है, लेकिन कुछ लड़कियों और कई बार तो कुछ लड़कों के लिए भी ये त्यौहार एक डरावना सपना बनके रह जाते हैं. 

आज हम महिलाओं की आर्थिक आज़ादी, आत्मनिर्भर्ता, और उनके सामर्थ्य की बातें करते हैं, लेकिन क्या हमारा समाज महिलाओं को सुरक्षा दे पाया है ? आज भी कई महिलाओं के लिए सुरक्षा एक लक्ज़री है, जबकी हमारे संविधान ने इसे महिलाओं का अधिकार माना. भारतीय संविधान ने हर नागरिक को समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) और शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) दिए हैं. UN (संयुक्त राष्ट्र) ने लिंग के आधार पर समानता का अधिकार और घरेलू हिंसा, यौन हिंसा और तस्करी सहित दुर्व्यवहार से मुक्ति का अधिकार दिया. तमाम अधिनियमों के बावजूद आज एक महिला बाहर तो क्या अपने घर तक में सुरक्षित नहीं है.

एक तरफ जहां हमने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया, वहीं दूसरी ओर NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) ने बताया कि साल 2023 में यौन उत्पीड़न के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई. हर 74 सेकंड में महिलाओं के ख़िलाफ़ एक अपराध रजिस्टर हुआ. UN वीमेन ने कहा कि दुनिया को लैंगिक समानता हासिल करने में 300 साल लग जायेंगे. हाल ही में देश की राजधानी में कुछ लड़कों ने ज़बरदस्ती एक विदेशी महिला को पकड़कर रंग लगाया. ऐसी कई घटनायें हैं जिनका वीडियो तो वायरल नहीं होता पर जिस महिला के साथ ऐसा होता है उसके मन में हमेशा के लिए डर की छाप छूठ जाती है. ये किस्सा किसी एक दिन का नहीं, किसी एक जगह का नहीं. अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता हर दिन, हर जगह रहती है. हमे ज़रुरत है साथ मिलकर ऐसा समाज बनाने की जहां सुरक्षा के लिए किसी बच्चे या किसी महिला को लड़ना न पड़े. 

 

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