/ravivar-vichar/media/media_files/2025/10/07/img-20251003-wa0015-2025-10-07-16-36-48.jpg)
अपनी दुकान संचालित करती गायत्री- Image Credits :Ravivar
यह कहानी है MP के Panna ज़िले की. यहां के गुनौर ब्लॉक के अंतर्गत पिपरवाह गांव की रहने वाली गायत्री यादव की. गायत्री बताती है-"मैं तो घर के काम करती थी.मेरे पति ताराचंद यादव छोटी सी किराना दुकान चलाते.जैसे-तैसे घर का खर्च चल रहा था.कुछ साल पहले Ajeevika Mission से जुड़ी और मेरे परिवार का जीवन स्तर सुधर गया."
किराने से किनारे लगी उलझी ज़िंदगी
पन्ना जिले के पिपरवाह गांव की गायत्री कहती है-"आजीविका मिशन के जरिए मैं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी.सतसंग SHG बनाया.हमने 10 रुपए साप्ताहिक बचत से शुरुआत की.समूह से लोन लिया और 5 लाख का मुद्रा लोन मिल गया.हमने किराना दुकान के साथ जनरल स्टोर भी खोल लिया.देखते ही देखते हमारी इनकम बढ़ गई."
किराना दुकान से गायत्री की उलझी ज़िंदगी किनारे लग गई और समाज में सम्मान हासिल किया.समूह की गतिविधि अच्छी होने से Village Organization से जुड़े और फिर नारी शक्ति संकुल संगठन (CLF) में शामिल हुए.
बैंक से जुड़कर समूह को मिली नई पहचान
कामकाज बढ़ा तो आजीविका मिशन ने गायत्री को बैंक का काम सिखाया और कियोस्क से जोड़ दिया.
गायत्री आगे बताती है-"जनरल स्टोर पर कमाई शुरू हुई तो मुझे कियोस्क संचालन की ट्रेनिंग भी मिल गई.मेरी कमाई छह हज़ार रुपए महीने हो गई,जबकि परिवार की महीने की कमाई लगभग 18 हज़ार रुपए महीने हो गई."
Panna Ajeevika Mission के DPM Pramod Shukla बताते हैं- "गायत्री यादव ने समूह के साथ मेहनत की.उनको समूह के अलावा मुद्रा लोन से भी मदद दिलवाई गई.लगातार गाइडेंस से उनकी आर्थिक स्थिति में तेज़ी से सुधार आया."