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भगवती ने अपने गांव में चप्पल प्रथा को पूरी तरह से ख़त्म करवाया, पर आस-पास के गांवों में आज भी इस प्रथा का चलन है. भगवती जैसी हिम्मत अगर हर उस गांव की महिला करले जहां चप्पल प्रथा है, तो इस कुप्रथा को जड़ से ख़त्म करना कोई बड़ी बात नही.
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