Powered by :
मूलतः झाबुआ की रहने वाली लाडो बाई भोपाल गई तो थी मजदूरी करने. बचपन के भीली आर्ट चित्रकारी के शौक ने लाडो को मजदूरी से भोपाल के ही भारत भवन तक का सफ़र करवा दिया. आज लाडो कला संस्कृति के क्षेत्र में बड़े आर्टिस्ट के तौर पर नाम है.
इस लेख को साझा करें
यदि आपको यह लेख पसंद आया है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें।वे आपको बाद में धन्यवाद देंगे