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CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने समलैंगिक विवाह पर जजमेंट सुनाते हुए कहा कि हम ना तो कानून बना सकते हैं और न ही सरकार पर इसके लिए दबाव डाल सकते हैं. कानून बनाने का अधिकार संसद का है.
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जस्टिस कौल ने कहा कि समलैंगिक और हेट्रोसेक्शुअल शादियों को एक ही नज़र से देखना चाहिए. ऐतिहासिक तौर पर होते आ रहे अन्याय और भेदभाव को खत्म करना होगा.
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चीफ जस्टिस का सुझाव है कि केंद्र सरकार को एक ऐसी कमिटी बनानी चाहिए जो समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों, जैसे राशन कार्ड, पेंशन, उत्तराधिकार और बच्चे गोद लेने के अधिकारों पर चर्चा करे.
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