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सोनकच्छ में पुनर्वास केंद्र पर पोषण आहार टोकरी देते हुए कलेक्टर ऋतुराज सिंह और सीईओ ज्योति शर्मा - Image : Ravivar
निकिता और संदीप रावत लगभग 15 दिनों दिन बाद अपने घर लौट रहे.एक पखवाड़े पहले जिस मासूम को नाउम्मीद से लाए उसे स्वस्थ हालत में ले जा रहे. यही हाल और पेरेंट्स का भी है जो ख़ुशी ख़ुशी अपने घर लौटे.देवास ज़िले के सोनकच्छ विकासखंड में "किलकारी पोषण अभियान" में बच्चों को नई ज़िंदगी मिली.
पोषण आहार ज़िंदगी का असली आधार
देवास ज़िले के सोनकच्छ सिविल हॉस्पिटल में शुरू हुए पोषण पुनर्वास केंद्र रंग ले आया.यहां जिला प्रशासन की निगरानी में 44 बच्चों सतत स्वास्थ्य लाभ मिला. 15 दिन की इस मॉनटरिंग में कुपोषण का शिकार बच्चे इस कलंक से मुक्त हुए.
इस सेंटर पर आए सुनीता रामगोपाल कहते हैं-"हमारी राजेश्वरी बहुत कमज़ोर थी.ठीक से चलना भी मश्किल था.सेंटर आने के पहले हम परेशान थे.लेकिन यहां की व्यवस्था ने हमारी बेटी का जीवन बदल दिया.केवल 15 दिन में ही बेटी का वज़न बढ़ने लगा."
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महिला एवं बाल विकास  प्रभारी परियोजना अधिकारी फिरदौस शेख ने कहा कि जिला प्रशासन के निर्देश पर काउंसलिंग की और जरूरतमंद बच्चों को सेंटर तक लाए.उपचार किया.    
महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी एसए सिद्द्की ने बताया जिले में लगातार कुपोषित बच्चों का सर्वे जारी है.पोषण आहार ज़िंदगी का असली आधार है.    
मासूमों को सेंटर में तक लाना चुनौती
जिला प्रशासन ने माना कि कुपोषित बच्चों को पुनर्वास केंद्र तक लाना चुनौतीपूर्ण है. 
जिला पंचायत सीईओ ज्योति शर्मा ने केंद्र का अवलोकन किया. सीईओ शर्मा कहती हैं-"मुझे प्रसन्नता है कि घर में प्रसन्नता भरी किलकारी सुनाई देगी.हमारे प्रयास सफल हुए.परंतु यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है.समाज में कामकाजी परिवारों को अपने नवजात और आगनबाड़ी बच्चों के स्वास्थ्य पर भी लगातार ध्यान देना होगा."
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इस मौके पर सीएमएचओ डॉ.सरोजनी जैम्स ने अस्पताल में इस केंद्र की शुरुआत को बड़ी उपलब्धि बताया.
पोषण टोकरी जीवन की संजीविनी
सेंटर्स पर शामिल अभिभावकों से कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने खुद मुलाकात की.प्रबंधन के साथ जिला पंचायत सीईओ ज्योति शर्मा के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने पोषण टोकरी का वितरण किया. 
कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने कहा-" मासूमों का कुपोषण से बाहर निकल स्वस्थ होना ही परिवार के लिए ख़ुशी  के क्षण हैं. जो पोषण टोकरी दी गई वह जीवन की संजीविनी है. अभिभावक यहां से गांव जाकर दूसरे पीड़ित परिवारों को भी जागरूक करें."
कलेक्टर सिंह ने आश्वस्त  किया कि कुपोषण के खिलाफ यह लड़ाई जारी रहेगी. प्रशासन हर 15 दिनों में ऐसे बच्चों की मॉनिटरिंग करेगी.  
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