अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस...

Women's Day को सिर्फ़ सोशल मीडिया पर एक अच्छी सी पोस्ट डाल देने तक सीमित न रखें. साल के हर दिन इस बात का ध्यान रखें कि महिलाएं दुनिया की आबादी का आधा हिस्सा हैं और हर चीज़ पर उनका उतना ही अधिकार है जितना पुरुषों का.

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मैत्री
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Image Credits- IALS Blog

साल 2024 का मार्च महीना भी ख़त्म होने वाला है, और इस महीने में एक ख़ास चीज़ हम सब मानते है जो है, International Women's Day. 8 मार्च को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस यानि कि International Women's Day मनाया जाता है. इस दिन हम समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की बात करते हैं, महिलाओं की जीवन यात्रा के बारे में, उनके संघर्षों के बारे में, और कैसे उन्हें सही मायने में समाज में बराबरी का अधिकार मिले, इस बारे में बात करते हैं.

कैसे हुई Women's Day की शुरुआत?

वर्तमान का जो Women's Day है उसका रूप उत्सव से परिपूर्ण है. लेकिन Women's Day की शुरुआत ऐसे नहीं हुई थी. सबसे पहले 1909 में अमेरिका में महिलाओं के एक समूह ने Women's Day की नींव रखी थी. यह महिलाएं फैक्ट्री और बाकी जगहों पर काम करने के लिए बेहतर परिस्थितियों की मांग कर रही थीं. उसके बाद अगले ही साल 1910 में यूरोप में भी इसी तरीके से एक दिन को महिलाओं के लिए समर्पित करने की बात की गई. और उसे वक्त Women's Day का मतलब होता था अपने हक की लड़ाई लड़ना, रैलियां निकालना, विरोध प्रदर्शन करना और महिला विरोधी ताकतों का सामना करना.

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International Women's Day बना आज का नारा

इसके बाद 1913 में रूस में भी एक International Women's Day की बात उठने लगी. उस वक्त रूस की महिलाएं प्रथम विश्व युद्ध के मंडरा रहे खतरे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थीं. तब से हर साल दुनिया भर में एक दिन Women's Day माना जाने लगा. 1975 में इसे एक औपचारिक रूप दिया गया और यूनाइटेड नेशंस ने औपचारिक घोषणा की कि हर साल 8 मार्च को International Women's Day के तौर पर मनाया जाए.

इस साल भी आपने सोशल मीडिया को अलग-अलग तरह के International Women's Day कैंपेन से भरा हुआ देखा होगा, अखबारों के पन्नों पर, आपकी फोन की स्क्रीन पर, आपके टीवी की स्क्रीन पर कई सारे इश्तेहार देखे होंगे. जैसा कि मैंने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में इसे उत्सव के तौर पर ही मनाया जाता है. और सही भी है. कम से कम इस बहाने ही सही हम पूरे एक दिन महिलाओं पर फोकस तो करते हैं.

सिर्फ एक दिन का Women's Day काफी नहीं

लेकिन सवाल यह है क्या यह काफ़ी है? सिर्फ एक दिन के लिए महिलाओं के संघर्ष के बारे में बात करना, समाज की उन्नति में उन्होंने जो योगदान दिया है उसके लिए उन्हें धन्यवाद देना, और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर दुनिया बनाना, यह सब बातें करना बहुत अच्छी बात है. और कोई हर्ज नहीं है कि अगर हम साल के एक दिन इन चीजों पर ज़्यादा ध्यान दें, उनके बारे में ज़्यादा बात करें. बस ध्यान हमें एक बात का रखना है कि ये बातें बस औपचारिकता बन कर ना रह जाएं, किसी एक दिन की मोहताज बनकर ना रह जाएं.

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बल्कि हो ये कि उस दिन जो बातें आप सुनते हैं, समझते हैं, देखते हैं, लिखते हैं, पढ़ते हैं, उसे साल के बाकी दिन ना भूल जाएं. हम आपसे यह नहीं कह रहे हैं कि साल के हर दिन ही आपको उत्सव के मोड में ही रहना है. नहीं ! उसकी ज़रूरत नहीं है. लेकिन जितना आप महिलाओं के बारे में International Women's Day के दिन सोचते हैं, जितना आप उनके संघर्षों के बारे में 8 मार्च को सोचते हैं, जितना कृतार्थ आप इस एक दिन महसूस करते हैं, उसका अगर महज़ एक प्रतिशत भी साल भर सोचें और उसके अनुरूप काम करें, तभी असली मायने में International Women's Day का औचित्य पूरा होगा.

तो बस कोशिश करें कि Women's Day को बस अपने घर की महिलाओं के लिए कुछ चॉक्लेट ला देने, या केक ला देने, या फूल देने तक सीमित न रखें. Women's Day को अपनी ऑफिस की कलीग्स को सिर्फ़ विश कर देने तक सीमित न रखें. Women's Day को सिर्फ़ सोशल मीडिया पर एक अच्छी सी पोस्ट डाल देने तक सीमित न रखें. साल के हर दिन इस बात का ध्यान रखें कि महिलाएं दुनिया की आबादी का आधा हिस्सा हैं और हर चीज़ पर उनका उतना ही अधिकार है जितना पुरुषों का. बस हो गया आपका International Women's Day सेलिब्रेट.

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