ऐतिहासिक स्मारक जिन्हें बनवाया महिलाओं ने

जब हम देश भर में फैली इन संरचनाओं की ख़ूबसूरती की प्रशंसा करते हैं, तो हम अक्सर इनसे जुड़े लोगों की कहानियां भूल जाते हैं. महिलाओं ने भी कई प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों और संरचनाओं को बनवाया था जिसकी जानकारी काफ़ी कम है.

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मिस्बाह
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monuments made by women

Image Credits: Ravivar Vichar

इतिहास को संजो कर रखने के लिए कई स्मारक और संरचनाएं बनाई गई जो हमारी समृद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत की गवाही देते हैं. भारत का गौरवशाली अतीत इसके प्राचीन मंदिरों, किलों, महलों और स्मारकों में छुपा है. जब हम देश भर में फैली इन संरचनाओं की ख़ूबसूरती की प्रशंसा करते हैं, तो हम अक्सर इनसे जुड़े लोगों की कहानियां भूल जाते हैं. इन स्मारकों के ज़रिये अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने वाले शक्तिशाली पुरुष शासकों के सैकड़ों उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है. लेकिन, महिलाओं ने भी कई प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों और संरचनाओं को बनवाया था जिसकी जानकारी काफ़ी कम है. इतिहास गवाह है, महिला शासकों ने अपने और अपने से जुड़े लोगों की कहानियों को इन स्मारकों के ज़रिये अमर कर दिया. ऐसे कुछ, महिलाओं द्वारा बनवाये गए स्मारकों की कहानी जानते हैं. 

हुमायुं का मकबरा, दिल्ली

humanyu

यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज,मशहूर हुमायूं का मक़बरा मुगल साम्राज्ञी हमीदा बानू बेगम ने उनके पति हुमायूं के निधन के बाद बनाया था. यह मुगलों के प्रसिद्ध उद्यान मकबरों में पहला है. एक प्रभावशाली उच्च मंच पर स्थित, मकबरे में एक क्लासिक प्याज़ के आकार का गुंबद है. मकबरे के परिसर में अरब की सराय, ईसा खान का मकबरा, नई का गुंबद और नीली गुंबद जैसी अन्य इमारतें भी हैं.

माहिम कॉज़वे, मुंबई

mahim causeway

मुंबई में माहिम कॉज़वे 1841-1846 के बीच साल्सेट द्वीप को माहिम से जोड़ने के लिए बनाया गया था. दो द्वीपों के बीच का इलाका दलदली और खतरनाक था जिसे पार करते समय कई लोगों की जान चली गई. इन हादसों ने सेतु की ज़रुरत बढ़ादी. लेकिन जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सेतु बनवाने के लिए धन देने से इनकार कर दिया, तो अवाबाई जमशेदजी जीजीभॉय आगे आई. उन्होंने सेतु बनाने के लिए कुल 1,57,000 रुपये की लागत दान की थी. माहिम कॉज़वे मुंबई शहर की लाइफलाइन बानी हुई है. 

मोहिनीश्वर शिवालय मंदिर, गुलमर्ग

Gulmarg

मोहिनीश्वर शिवालय मंदिर जिसे महारानी शंकर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, कश्मीर घाटी में गुलमर्ग शहर के बीच-ओ-बीच है. सुंदर बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच एक छोटी पहाड़ी पर स्थित, यह मंदिर 1915 में महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने बनवाया था, जो कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह की पत्नी थीं. मंदिर इस तरह से बनाया गया है कि यह गुलमर्ग के सभी कोनों से दिखाई देता है. इसे कई हिंदी फिल्मों में दिखाया गया है, जिसमें फिल्म 'आपकी कसम' का प्रसिद्द गीत 'जय जय शिव शंकर' शामिल है, जिसमें सुपरस्टार राजेश खन्ना और मुमताज ने अभिनय किया था.

ताज-उल-मस्जिद, भोपाल, मध्य प्रदेश

Taj ul masjid

भारत की सबसे बड़ी मस्जिद, ताज-उल-मस्जिद या 'मस्जिदों के बीच का ताज', भोपाल की बेगमों द्वारा बनवाया गए भव्य स्मारकों में से एक है. जिन्होंने 1819 से 1926 तक शासन किया था और वे भारत में राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाने के लिए जानी जाती हैं. बेगम शाहजहां ने अपने शासनकाल के दौरान कई महलों, मंदिरों और मस्जिदों का निर्माण करवाया था. उहोंने मस्जिद के लिए वास्तुकार अल्लाह रक्खा खान को नियुक्त किया. लेकिन 1901 में बेगम शाहजहां के निधन के बाद निर्माण रुक गया. उनकी बेटी सुल्तान जहां बेगम ने काम वापिस शुरू करवाया और, आखिरकार 1985 में मस्जिद बनकर तैयार हुई. मस्जिद के नौ गुंबदों, आंगन के तालाब में बनता प्रतिबिंब, और  महिलाओं के लिए नमाज़ अदा करने की अलग जगह ताज-उल-मस्जिद की कुछ विशेषताएं है.  

विरुपाक्ष मंदिर, पट्टदकल, कर्नाटक

Virupaksh karnatak

उत्तरी कर्नाटक में मालाप्रभा नदी के किनारे मंदिरों का एक समूह है, जिसे कई लोग चालुक्य मंदिर वास्तुकला का प्रतीक मानते हैं. लेकिन इन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज रॉक-कट संरचनाओं में, सबसे उत्कृष्ट विरुपाक्ष मंदिर है. विरुपाक्ष मंदिर रानी लोकमहादेवी ने बनवाया था. 740 ईस्वी के आसपास पूरा हुआ. पल्लवों के खिलाफ अपने पति विक्रमादित्य द्वितीय की जीत का जश्न मानाने के लिए उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर का निर्माण कांची के मूर्तिकारों ने किया. प्रवेश द्वार पर नंदी की विशाल आकृति, नटराज और रावणानुग्रह जैसे देवताओं की उत्कृष्ट मूर्तियां, और महाभारत और रामायण की कथाओं की नक्काशी मंदिर की कुछ विशेष्ताएं हैं.

इत्तिमाद-उद-दौला, आगरा, उत्तर प्रदेश

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इत्तिमाद-उद-दौला एक बेटी की अपने पिता के प्रति समर्पण की गवाही थी. मक़बरे को सम्राट जहांगीर की पत्नी मुगल साम्राज्ञी नूरजहां ने अपने पिता मिर्जा गियास बेग की याद में बनवाया था. मिर्ज़ा को अकबर द्वारा इत्तिमाद-उद-दौला की उपाधि दी गई थी, और वे जहांगीर के शासनकाल में वज़ीर के पद तक पहुंचे थे. उनकी मृत्यु के बाद, नूरजहाँ को 1622 से 1628 ईस्वी तक आगरा में इस स्मृति में बनवाने में सात साल लग गए. यह पूरी तरह से संगमरमर में बना भारत का पहला स्मारक बना, जिसके बारे में कहा जाता है कि अपने सौतेले बेटे सम्राट शाहजहाँ द्वारा बनवाये ताजमहल को भी प्रेरित किया था.

रानी की वाव, पाटन, गुजरात

Rani ki vav

पाटन, गुजरात में सरस्वती नदी के तट पर बनी, रानी की वाव 11 वीं शताब्दी में रानी उदयमती ने अपने पति राजा भीमदेव प्रथम के स्मारक के रूप में बनवाया था. आश्चर्यजनक बावड़ी मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली में बनी है. यह उच्च कलात्मक गुणवत्ता के मूर्तिकला पैनलों के साथ सीढ़ियों के सात स्तरों में बंटा है; 500 से अधिक सिद्धांत मूर्तियां और 1,000 से अधिक छोटी मूर्तियां धार्मिक, पौराणिक और धर्मनिरपेक्ष इमेजरी को जोड़ती हैं. 100 रूपए के भारतीय नोट पर बानी तस्वीर रानी की वाव की ही है.   

दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल

Dakshineswar Kolkata

रानी रश्मोनी सिर्फ रानी नहीं, बल्कि एक समाजसेवी थीं. एक मछुआरे के परिवार में जन्मी, रानी रश्मोनी ने ईस्ट इंडिया कंपनी के मछली पकड़ने के कर के विरोध के अलावा सती, बहुविवाह और बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठाई, और बंगाल की जनता के बीच लोकप्रिय हो गई. उन्होंने 1857 में 20 एकड़ जमीन खरीदी और बंगाल स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर की शैली में नौ मीनारों के साथ दो मंजिला संरचना का निर्माण किया. एक शूद्र महिला के मंदिर के निर्माण के खिलाफ ब्राह्मण पुजारियों के प्रतिरोध के बावजूद उन्होंने निर्माण कार्य जारी रखा. देवी काली के रूप, भवतारिणी की मूर्ति को मंदिर में रखा गया, जहां रामकृष्ण परमहंस ने मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में सेवा की.

मिर्जन किला, कुम्ता

mirjan fort

अघनाशिनी नदी के तट पर स्थित, कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित यह स्मारक अपनी उल्लेखनीय आर्किटेक्चर कला के लिए जाना जाता है. इसे 16वीं शताब्दी में भारत की 'काली मिर्च' की रानी के रूप में भी प्रसिद्द गरसोप्पा की रानी चेन्नाभैरदेवी ने बनवाया था. मिर्जन किले में रहने वाली रानी ने इसे काली मिर्च शिपिंग कर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया. तुलुवा-सलुवा कबीले से आने वाली इस रानी ने 54 वर्षों तक गरसोप्पा की रानी के रूप में शासन किया. यह किला कई युद्धों का गवाह रहा है. 

खैर-उल-मंज़िल, दिल्ली 

Khairul manzil.

नई दिल्ली में स्थित, इस ऐतिहासिक मस्जिद का निर्माण 1561 में सम्राट अकबर की नर्सों में से एक, और उनके दरबार की एक प्रभावशाली महिला महम अंगा ने करवाया था. मस्जिद मथुरा रोड पर पुराना किला के सामने शेरशाह गेट के दक्षिण पूर्व में स्थित है. यह मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना. मस्जिद दो मंजिला संरचना है जहां पश्चिम की ओर प्रार्थना कक्ष हैं और बीच में बड़ा प्रांगण है. इस मस्जिद का मुख्य आकर्षण लाल बलुआ पत्थर से बना विशाल प्रवेश द्वार है. 

अगर आप इन जगहों पर अब तक नहीं गए हैं, तो एक बार ज़रूर जाएं. स्मारक की डिटेलिंग, बनावट और वास्तुकला के साथ-साथ उसके पीछे छुपी कहानी को जानने की कोशिश ज़रूर करें. 

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