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"अपनी ज़िन्दगी की दौड़ में हमेशा भागती थी, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि एक दिन सच में एथलीट बन जाउंगी." यह शब्द है शीबा के. शीबा पहले एक काजू की फैक्ट्री में कार्यकर्ता थी.
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