अपनी नई ज़िंदगी मैं खुद लिखूंगी...

अपने बच्चों को भूख से तड़पता देख वे अपने चारों बच्चों के साथ ट्रेन कि पटरी पर ज़िंदगी ख़त्म करने चली गई. उनके बच्चे रोते हुए कहने लगे, "माँ, हमें नहीं मरना, हम आज के बाद आपसे कभी खाना नहीं मांगेंगे" इन मासूम शब्दों ने उन्हें दोबारा जीने पर मजबूर कर दिया. 

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Phoolbasan Bai yadav SHG

Image Credits: Google Images

सिर्फ़ दो रुपये और दो मुट्ठी चावल से अपना बिज़नेस शुरू करना.... उसी बिज़नेस से पद्मश्री तक का सफर ..... बिजनेस शुरू किया स्वयं सहायता समूह के दायरों में रहकर और उसी SHG ने पहुंचाया KBC की हॉट सीट तक.  इस प्रश्न का सही जवाब है फूलबासन बाई यादव. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के सुकुलदैहान गांव में जन्मी और गरीबी के दलदल में आधा जीवन गुजारा. 10 साल की नाज़ुक सी उम्र में शादी कर ज़िम्मेदारियों का बोझ और जल्द ही चार बच्चों की ज़िम्मेदारी उन पर आ गई. अपने बच्चों को भूख से तड़पता देख फूलबासन अपने चारों बच्चों के साथ ट्रेन कि पटरी पर अपनी ज़िंदगी ख़त्म करने चली गई. उनके बच्चे रोते हुए कहने लगे, "माँ, हमें नहीं मरना, हम आज के बाद आपसे कभी खाना नहीं मांगेंगे" इन मासूम शब्दों और सिसकियों ने उन्हें दोबारा जीने पर मजबूर कर दिया. 

इस नई मिली ज़िंदगी की कहानी उन्होंने खुद लिखने की ठानी और इस बार अपने बच्चों और गरीबों के लिए जीने का सोचा. 11 महिलाओं के साथ मिलकर 2 मुट्ठी चावल और 2 रूपए इकट्ठा हुए और अपना समूह बना लिया. समाज के उठते सवालों को चुकपचाप सुना और नए मिले लक्ष्य पर ध्यान दिया.  अपने समूह का नाम रखा बम्लेश्वरी जनहितकारी स्वसहायता समूह. फूलबासन बाई मां बम्लेश्वरी स्वसहायता समूह की अध्यक्ष हैं और 100 से ज़्यादा समूहों में करीब दो लाख महिलाएं काम कर रही हैं. 

Phoolbasan Bai yadav

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समूह की महिलाएं अचार बनाना बखूबी जानती थीं. बम्लेश्वरी ब्रांड के नाम से आम और नींबू के अचार तैयार किया जो छत्तीसगढ़ के तीन सौ  स्कूलों में बिका. अचार बनाने तक सीमित न रहकर समाज में बदलाव लाने के लिए भी समूह की महिलाओं के साथ मिलकर पहल की. छत्तीसगढ़ राज्य के अगल-अलग जिलों में करीब 3 हजार लड़कियों और महिलाओं को कराटे की ट्रेनिंग देकर उन्हें हर मुश्किल से निपटना सिखाया. नशे और जुए के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए महिला फौज तैयार की जो रात में सीटी बजाती हुई अपने गांवों में निकलती हैं और किसी भी घर में हो रही मारपीट को रोक देती हैं. शराब और जुआ खेलते पुरुषों को सामने बुलाकर पूरे गाँव के सामने समझाइश देतीं हैं.  इस महिला फ़ौज ने घरेलु हिंसा पर रोक लगाई. कोरोना महामारी के दौरान मां बम्लेश्वरी स्वसहायता समूह की महिलाओं ने 15 लाख मास्क तैयार किये. इनके समूह की महिलाएं बकरी पालन,मच्छली पालन, डेयरी, खाद कम्पनी चला रही हैं और अपने हालात खुद बदल रही हैं. 

भारत सरकार ने फूलबासन बाई को पद्मश्री से सम्मानित किया और छत्तीसगढ़ सरकार ने जनाना सुरक्षा योजना का ब्रांड एंबेसडर बनाया. कौन बनेगा करोड़पति, दूरदर्शन, चैनल 360 इंडिया, जोश टॉक जैसे बड़े स्टेज पर उन्होंने हर महिला को हार न मानने और गरीबी को अपनी मेहनत से मुंह तोड़ जवाब देने की सीख दी. फूलबासन ने जोश टॉक में कहां, "डर को जब आप हतियार बना लेते हो तो सारे रास्ते आसान हो जाते हैं." 

 

फूलबासन बाई यादव पद्मश्री बम्लेश्वरी जनहितकारी स्वसहायता समूह छत्तीसगढ़ जोश टॉक चैनल 360 इंडिया दूरदर्शन कौन बनेगा करोड़पति