"मैं, रक्षा खडसे, ईश्वर की शपत लेती हूँ कि....", 9 जून को रक्षा खड़से ने केंद्रीय युवा मामले और खेल राज्य मंत्री की शपत ली थी. अपनी मेहनत को जब व्यक्ति इस तरह सफल होते हुए देखते है, तो लाज़मी है कि वह अपने हर पुराने दिन को याद करता होगा. रक्षा खड़से की ज़िंदगी भी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है. बस अंतर ये है कि उन्होंने अपनी इस ज़िंदगी को हर वक़्त जिया है, और इससे हर वक़्त प्रेरणा ली है. आइए जानते है कि आखिर कौन है रक्षा खडसे ?
रक्षा खडसे- सरपंच से मंत्री तक का सफर
रक्षा खडसे (Raksha Khadse) महाराष्ट्र से भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं. वह भारतीय संसद के निचले सदन में रावेर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करती है और आज 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में राज्यमंत्री बनीं है.
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रक्षा खडसे थी सरपंच
इनका जन्म मध्य प्रदेश के खेतिया में हुआ. खडसे कोठाडी गांव की सरपंच चुनी गईं थी. बाद में वह जलगांव जिला परिषद के लिए चुनी गईं. 2014 के लोकसभा चुनावों में, उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मनीष जैन को 318608 मतों के अंतर से हराया. उन्हें 605452 जबकि जैन को 287384 मत मिले. 26 साल की उम्र में, वह हीना गावित के साथ 16वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र की सांसद बनीं. वह 2019 में रावेर लोकसभा के सांसद के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनी गईं. खडसे का जन्म मध्य प्रदेश के खेतिया में हुआ था. रक्षा खडसे महाराष्ट्र के वरिष्ठ एनसीपी नेता एकनाथ खडसे की बहू हैं. वह उनके दिवगंत बेटे निखिल खडसे की पत्नी हैं.
हिम्मत से बढ़ीं आगे
रक्षा खडसे काफी विकट परिस्थितयों के बीच राजनीति में कदम रखा था.अपने पति की खुदखुशी की खबर सुनकर कोई भी महिला टूट जाती है. यही हुआ था रक्षा के साथ भी लेकिन फिर भी 2014 में रक्षा खडसे पहला लोकसभा चुनाव लड़ी और बड़े अंतर से जीती भी. कई बातें सुननी पड़ी होंगी उनको भी, समाज छोड़ता कहां है किसी को. लेकिन फिर भी वो आज इस मुकाम पर है. 2024 के चुनावों में उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई. उनकी जीत महाराष्ट्र में काफी अहम मानी गई है. क्योंकि राज्य में इस बार बीजेपी को सिर्फ 9 सीटें मिली हैं.
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रक्षा खडसे का बचपन
रक्षा खडसे के पिता का नाम जगदीश मोहन पटेल और मां का नाम अनीता पटेल है. उन्होंने पढ़ाई नासिक, आणंद और जलगांव से पूरी की है. रक्षा खडसे पिछले बार के टर्म में लोकसभा की कई समितियों में सदस्य के तौर काम चुकी हैं और तब से ही उनकी गिनती काफी सक्रिय सांसदों में होती आई है. वह तमाम माध्यमों से समाज सेवा में भी सक्रिय हैं.
आज रक्षा खडसे उस मुकाम पर है जिसे पाने के लिए लोग राजनीति में उतारते है. लेकिन सब वह हासिल नहीं कर पाते. आज रक्ष की ज़िंदगी से ना जाने कितनी नई लड़कियां और बच्चियां प्रेरित होंगी और आगे बढ़ने का ठानेंगी. भले ही केंद्रीय मंत्रियों में कम महिलाएं हो लेकिन आज जितनी भी महिलाएं उन सबसेसे हम कुछ ना कुछ सीख सकते है.
रविवार विचार आप तक ऐसी और प्रेरणा दें वाली कहानियां पहुंचता रहेगा, क्योंकि हम यकीन करते है कि एक महिला ही है जो देश को आगे बढ़ने के काबिल है.