Chhattisgarh के Jashpur जिले में रहने वाली पहाड़ी कोरवा जनजाति (Primitive vulnerable tribal group) के लिए self help group वरदान बन कर आया.काम मिला और आर्थिक हालात भी ठीक होने लगे.
मजदूरी करने वाली बनी नाशपाती और आम के बगीचों की मालकिन
जशपुर जिले के बगीचा ब्लॉक में नज़ारा बदल गया.यहां किसी समय मजदूरी करने वाली सावित्री देवी अब नाशपाती (Pear Fruit) और आम के बागानों की मालकिन बन गई.
जशपुर जिले के सन्ना गांव में सूरज स्वयं सहायता समूह की सावित्री देवी बताती है-"पहले मैं मजदूरी और जंगल में वनोपज इकट्ठा कर घर चलाती.सालभर में 40 हज़ार रुपए भी कमाई नहीं होती. समूह से जुड़ने के बाद मुझे आजीविका मिशन बिहान के लोन और पैसों की मदद मिली.दो एकड़ ज़मीन पर नाशपाती और आम का बगीचा तैयार किया.अब सालाना अच्छी कमाई हो जाती."
अपने आम बगीचे में खड़ी शोभा बाई (Image: Ravivar Vichar)
सावित्री देवी को कृषि विभाग और नाबार्ड के तहत दो एकड़ ज़मीन पर फलों का बगीचा तैयार करने में मदद की.RF से 15 हज़ार और फिर CIF से 60 हज़ार रुपए की मदद भी मिली.
Makeup Item Shop ने बना दिया lakhpati didi
जशपुर जिले में सन्ना ग्राम पंचायत की शोभा बाई की किस्मत बदल गई.SHG से जुड़ कर Makeup Item Shop खोली और धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति बदल गई.
सूरज स्वयं सहायता समूह की ही शोभा बाई बताती हैं-"खेतों में मजदूरी कर मुश्किल से 5 हज़ार रुपए महीने भी नहीं कमा पाती.समूह से जुड़ने के बाद मुझे शुरुआत में ही RF से 15 हज़ार की मदद और फिर CIF loan से 60 हज़ार रुपए मिले.मेरी मेकअप सामान की दुकान अच्छे चलने लगी.मैंने CCL से हिम्मत कर 2 लाख का लोन भी ले लिया.कमाई अब 10 हज़ार रुपए महीने हो जाती."
जशपुर जिले में Ajeevika Mission Bihan के DMM Vijay Sharan Prasad बताते हैं-"हमारे लिए पहाड़ी कोरवा जनजाति (PVTG)का समूह बनना और उन्हें आर्थिक मजबूत करना चुनौती था.सावित्री देवी के बगीचे में सोलर पंप भी योजना के तहत लगवाया.यही मजदुर महिलाएं अब लखपति दीदी की श्रेणी में आ रहीं."