खीरा ककड़ी से बल्ले-बल्ले

जहां ककड़ी को लोग चाव से खा रहे वहीं इसकी पैदावार लेने वाले स्वयं सहायता समूह की किसान दीदियों की बल्ले-बल्ले हो गई. राजगढ़ जिले में ही किसान परिवारों ने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की ककड़ी अलग-अलग व्यापारियों और बाजारों में बेच दी.

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SHG selling cucumber

मुख्य मार्गों पर खीरा ककड़ी को बेचते हुए लोग (फोटो क्रेडिट: ओम व्यास)

सामान्य परिवारों से लगाकर वीआईपी घरों में सलाद में पहली पसंद बन रही खीरा ककड़ी की इन दिनों बहार है. हाई-वे पर सजे हुए टोकने हो या सब्जी मंडी... सभी जगह खीरा ककड़ी बिकती हुई देख सकते हैं. मप्र के राजगढ़ जिले में इसकी इतनी बंपर पैदावार हुई कि इसको महानगरों में  थोक में भेजा जा रहा है. जहां ककड़ी को लोग चाव से खा रहे वहीं इसकी पैदावार लेने वाले स्वयं सहायता समूह की किसान दीदियों कि बल्ले-बल्ले हो गई.राजगढ़ जिले में ही किसान परिवारों ने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की ककड़ी अलग-अलग व्यापारियों और बाजारों में बेच दी. भोपाल संभाग के अलावा इंदौर के इलाके में भी किसान परिवार ककड़ी बेच रहे हैं.

खीरा ककड़ी की पैदावार को लेकर खास बात यह है कि इसमें लागत की तुलना में मुनाफा ज्यादा है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी भूरी बाई तंवर कहती है -"मैंने सोचा भी नहीं था कि खीरा ककड़ी की पैदावार से हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हो जाएगा. किसानो को इसकी ट्रेनिंग दी गई. हमारे ही परिवार के सदस्य राजगढ़ जिले में यह बेच रहे हैं."

जिले के ही किसान जगन्नाथ कहते हैं -" मैनें खेत के एक बीघा इलाके में ककड़ी लगाई. लगभग 200 क्विंटल फसल का उत्पादन हुआ. 
केवल दो माह में यह फसल मिल जाती है. डिमांड ज्यादा होने से सप्लाई भी अच्छी है. घर की महिलाएं भी हमें साथ दे रहीं हैं." जिले में ककड़ी की पैदावार और काम मेहनत देखते हुए अधिकांश किसानों के साथ स्वयं सहायता समूह की किसान दीदियां भी इसमें रूचि ले रहीं हैं. उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक पीआर पांडेय कहते हैं- " जिले में इस बार ककड़ी की पैदावार अच्छी हुई. अलग-अलग विकासखंडों में 400 हैक्टेयर जमीन पर ककड़ी की खेती की गई. बड़े किसान परिवारों ने दिल्ली, भोपाल, इंदौर सहित कई शहरों में व्यापारियों को ककड़ी थोक में बेची. जबकि आधे हैक्टेयर में जिन किसान दीदियों ने खेती की,उन्होंने जिले के ही खिलचीपुर,जीरापुर, नरसिंहगढ़ ,सारंगपुर ब्लॉक के स्थानीय गांवों में ककड़ी बेच कर मुनाफा कमाया."

cucumber farming by SHG women

राजगढ़ जिले में ककड़ी के खेत  (फोटो क्रेडिट: ओम व्यास)

 इस खेती को लेकर किसान दीदियों के परिवारों ने पूरा साथ दिया. आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक संदीप सोनी कहते हैं -" जिले में इस बार स्वयं सहायता समूह की दो सौ से ज्यादा दीदियों ने अपने खेतों में खीरा ककड़ी की फसल लेने में खास रूचि दिखाई. उन्हें जिला प्रशासन में कलेक्टर,सीईओ जिला पंचायत सहित विभाग ने प्रोत्साहित किया."

ककड़ी को लेकर विशेषज्ञों की राय है कि गर्मी में इसका सेवन करना ही चाहिए. जिले के डॉक्टर सुधीर कलावत कहते हैं -"गर्मी में शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है. लू लगने के खतरे बने रहते हैं. ककड़ी डिहाइड्रेशन को रोकती है. शरीर में पानी की कमी को पूरा करती है. इसमें फाइबर होता है. साथ ही मिनरल्स, विटामिन B,C,कॉपर,मैग्नेशियम भी पाया जाता है.यह पाचन में मदद करती है. इसमें कैलोरी भी कम होती है.इसे रोज़ खाने में उपयोग करना चाहिए." 

रिपोर्टर : ओम व्यास 

स्वयं सहायता समूह खीरा ककड़ी