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जहां ककड़ी को लोग चाव से खा रहे वहीं इसकी पैदावार लेने वाले स्वयं सहायता समूह की किसान दीदियों की बल्ले-बल्ले हो गई. राजगढ़ जिले में ही किसान परिवारों ने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की ककड़ी अलग-अलग व्यापारियों और बाजारों में बेच दी.
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