महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी निपुणता साबित कर रही हैं, फिर वो चाहे परिवार की जिम्मेदारी संभालना हो या नौकरी या व्यवसाय में परचम लहराना हो. ऐसी ही एक अनोखी कहानी हैं, बिहार (Bihar) की महिला, सीता देवी (Sita Devi) की, जो घर की सामान्य गृहिणी की भूमिका से निकलकर अपनी दमदार प्रतिभा के साथ एक इलेक्ट्रीशियन के रूप में अपनी पहचान बनाई. वह घर के खाने को बनाने के साथ-साथ खराब पंखे, बल्ब आदि को भी ठीक करने का काम भी स्वयं संभाल रही हैं. उनके इस साहसिक कदम ने दिखाया हैं की, महिला शक्ति का असीमी विकास हो रहा हैं.
सीता देवी की इस सफलता के पीछे उनके साहस, आत्मविश्वास और परिश्रम की महत्वपूर्ण भूमिका हैं. सीता महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) का उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं, की कैसे वह स्वयं को सिमित ना करके अपने सपने और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए, किसी भी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सहारा लेकर आगे बढ़ सकती हैं.
सीता देवी महिला इलेक्ट्रीशियन
गया (Gaya) जिले की प्रसिद्ध इलेक्ट्रीशियन सीता देवी शादी के बाद साधारण गृहिणी का जीवन जी रहीं थीं. वह अपने पति जीतेन्द्र मिस्त्री के साथ घर और बच्चों को संभाल रही थीं. हालांकि, जीतेन्द्र की स्वास्थ्य समस्याएं उन्हें काम में असहाय बना रही थीं. इस मज़बूरी में सीता ने खुद को इलेक्ट्रीशियन बनाने के प्रशिक्षण लेना शुरू किया और वह पंखे, लाइट, ग्राइंडर आदि जैसे उपकरणों को ठीक करने में माहिर हो गईं. दुकान में ख़राब उपकरण को ठीक कराने के लिए ग्राहक उनके पास आने लगे. इसी दौरान उनके बच्चे भी उनके साथ दुकान जाने लगे और उनका हांथ बटाने लगे.
जिले की एकलौती महिला मिस्त्री सीता के हुनर की सराहना बहुत से लोगों ने की, जिसमे मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी शामिल हैं. 2010 में नितीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने सीता देवी को प्रमाण पत्र के साथ 50 हजार रूपए की राशि देकर, उन्हें सम्मानित भी किया था.
सीता देवी के इस साहसिक कदम ने महिलाओं के सम्मान, समर्थन और सार्थकता को एक नई दिशा दी हैं. उन्होंने साबित किया हैं कि महिलाएं सिर्फ घर की जिम्मेदारियों के साथ समाप्त नहीं होती, बल्कि उनमे अनेक क्षमताएं होती हैं, जरुरत हैं तो बस उनको खोजने, विकसित करने और खुद को समृद्ध करने की.