संगठन या स्वयं सहायता समूह (SHGs) महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे है. समूह के माध्यम से वह समाज में अपनी पहचान बनाने और समृद्धि की दिशा में आगे की ओर बढ़ रहीं है. आज SHG के माध्यम से महिलाएं को स्वतंत्र और समृद्ध जीवन देने के लिए सरकार समूह के साथ मिलकर उनके कौशल और योग्यता का विकास कर और उनके व्यवसाय को विकसित करने के लिए नई-नई योजनाएं बना रही है.
महिला SHGs के लिए मुर्गी पालन बना आमदनी का जरिया
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली (Bareilly) में महिला स्वयं सहायता समूहों की आमदनी मुर्गी पालन (Poultry) के जरिए बढ़ाने के लिए योजना पर काम शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट के अंडर रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (Rural Development Department) और सीएआरआई (CARI) मिलकर महिला SHGs को आत्मनिर्भर और सश्क्त बनाने का प्रयास किया जा रहा.
पहले चरण में हर ब्लॉक से पांच-पांच महिला समूहों को चुना गया, जिन्हें मुर्गी पालन के लिए शेड और दो लाख मुर्गियों का समर्थन के साथ ट्रेनिंग दी जाएगी. शुरुआत में 15 ब्लॉक के 75 महिला समूहों को मुर्गी पालन का शेड मनरेगा (MGNREGA) की तरफ से मुफ्त में दिया जायेगा. जिससे महिला SHG को रोजगार के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा. मनरेगा के कई छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स के जरिए महिला SHGs नई-नई योजनाओं का लाभ ले रहीं है.
यह पहल महिला self help groups के लिए बड़ा कदम है. मुर्गी पालन के उद्योग में बढ़ती मांग और उत्पादक बाजार के कारण, यह लाभकारी व्यवसाय के रूप में सामने आया है, जो महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को स्वतंत्रता के साथ आय बढ़ाने का मौका देंगे. इस पहल से न केवल महिला समूहों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उन्हें स्थायी सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए मदद मिलेगी. इससे महिला एसएचजी के आत्मविश्वास और स्वावलंबना में सुधार होगा, जो समाज के स्थानीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा.