नारी शिक्षा विकास की नई राह है. इससे न सिर्फ महिलाओं को बल्कि समाज को भी बेहतर ओर समृद्ध बनाने में सहायता मिलती है. महिलाओं में शिक्षा का बढ़ावा देने से वह समाज में अपनी पहचान बनाती है, जो समृद्धि के मार्ग में महत्वपूर्ण कदम है.
यह कहानी है, राजस्थान (Rajasthan) के बारां जिले के किशनगंज (Kishanganj) की रहने वाली निशा चौहान (Nisha Chauhan) की. जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए परिवार और समाज से भीड़ गई. वह गांव की एक साधारण सी बेटी थी, पर उनके शिक्षा जीवन की कहानी साधारण नहीं रही. निशा को बचपन से ही शिक्षा में रूचि थी, लेकिन उनके परिवार को उनकी पढ़ाई और उनके भविष्य की परवाह नहीं थी. इसके चलते उनका विवाह काम उम्र में ही कर दिया गया और उनकी शिक्षा रुक गई.
समय बीतता गया और निशा के अपने परिवार और समाज के अन्य सदियों के दबाव के कारण उन्होंने शिक्षा को छोड़ दिया. और एक साधारण ग्रहणी के रूप में घर के कामों में उलझ गईं. लेकिन उनके दिल में अटल इच्छा थी, फिर से शिक्षा प्राप्त करे.
महिलाओं को मिल रहा फिर से शिक्षा शुरू करने का मौका
साल 2019 में, NGO मंजरी फाउंडेशन (NGO Manjari Foundation) ने UN WOMEN के साथ मिलकर, ' सेकेंड चांस एजुकेशन ' (Second Chance Education), जिसका उद्देश्य महिलाओं को समाज में सामान अधिकार और शिक्षा तक पहुंच बढ़ाना हैं, राजस्थान, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), और उत्तराखंड (Uttarakhand) के कुछ जिलों में महिलाओं के लिए व्यस्क शिक्षा की पहल शुरू की.
ओपन स्कूलिंग के तहत महिलाओं को दी जा रही शिक्षा
इस पहल के तहत महिलाओं को ओपन स्कूलिंग (Open Schooling) प्रणाली के तहत शिक्षा मिलना शुरू हुई. निशा को जब इस योजना के बारे में पता चला तो, उनके दिल में भी आशा और उत्साह की किरण नज़र आई. निशा के लिए यह शिक्षा यात्रा आसान नहीं थी, क्योंकि उन्हें अपने परिवार और समाज के लोगों से भी मुकाबला करना पड़ा. निशा ने ओपन स्कूलिंग प्रणाली के तहत अपनी शिक्षा शुरू की. इस योजना के जरिए, उन्हें न सिर्फ शिक्षा मिली, बल्कि अन्य महिलाओं को भी इस सम्बन्ध में जागरूक बनाने का मौका मिला. निशा अब सक्रिय सदस्य बनकर गांव की अन्य महिलाओं को शिक्षा लेने के लिए प्रेरित कर रहीं है.
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कार्यक्रम की शिक्षक रेनू बताती है कि, गांव की महिलाओं को अपनी शिक्षा फिर से शुरू करने के लिए राजी करना आसान नहीं था, लेकिन निशा के जज़्बे और उनकी सहायता कि वजह से उन्हें सफलता मिली. निशा के सपने और मेहनत का परिणाम, सामाजिक संदेश के रूप में बनकर उभरा. वह गांव की अन्य महिलाएं को प्रेरित कर, उन्हें शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए काम कर रहीं हैं. अपनी सफलता के साथ निशा ने अपने आत्मविश्वास को भी मजबूत किया. निशा ने अपने सपनों को पूरा करने का साहस दिखाकर, अपनी मेहनत और लगन से शिक्षा प्राप्त की. निशा साहसी, समर्थ और प्रेरक के रूप में उभर कर आई हैं. वह महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं.