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Image Credits : Women On Wings
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गंगा नदी (Ganga River), हमारी भारतीय संस्कृति में अपनी महानता और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है. मां गंगा, भारतीय धरोहर की माननीय प्रतिक है, जिसके जल को " गंगाजल " (Gangajal) कहा जाता है. गंगाजल का महत्व हिन्दू धर्म में, पवित्रता और मान्यताओं से भरपूर है. गंगाजल का उपयोग स्नान, पूजा, जन्मोत्सव, श्राद्ध जैसे कार्यक्रम में होता है.
भारतीय संस्कृति में गंगाजल को मोक्ष की प्राप्ति का जरिया माना जाता है, जिससे मनुष्य के पापों का नाश होता है. लोग गंगा में नहाने के बाद, गंगा के पवित्र जल को घरों में ले जाने की प्राथमिकता लोगों में देखने को मिलती है. इसे अपने घर के पूजा कक्ष या मंदिर में स्थान देने से, आनंद और शांति की अनुभूति होती है.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शहर प्रयागराज (Prayagraj, U.P) में बहुत से लोग जाते तो है, पर काम की व्यस्तता की वजह से गंगा के घाटों पर नहीं जा पाते, जिस वजह से गंगाजल लेना मुमकिन नहीं हो पाता. लोगों की इस आपूर्ति को पूरा करने के लिए प्रयागराज में नई पहल की जा रही, जो स्वयं सहायता समूह (Self Help Group, SHG) के माध्यम से, हवाई यात्रियों को एयरपोर्ट पर ही पैक्ड गंगाजल की सुविधा दी जाएगी. जो महाकुम्भ (Mahakumbh) से पहले ही यात्रियों को मिलना शुरू होगी. ऐसा करके प्रयागराज देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बनेगा, जहां संगम का पवित्र जल यात्रियों को टर्मिनल बिल्डिंग में ही दिया जायेगा.
ट्रेन और बस से सफर कर रहे यात्री आसानी से गंगाजल लेकर आ और जा सकते है, लेकिन हवाई यात्रियों को सुरक्षा की वजह से ले जाने की अनुमति नहीं होती. जो लोग, दो से पांच लीटर के प्लास्टिक कैन में गंगाजल ले जाना चाहते है, स्वयं सहायता संगठन (self help organization) द्वारा एक पैकिंग मशीन भी लगाई गई है, जिसे सामान के साथ ही जमा किया जायेगा.
प्रयागराज एयरपोर्ट (Prayagraj Airport) में एक और पहल शुरू होने जा रही, जिसमे यात्रियों को रात के समय प्रयागराज से दिल्ली (Prayagraj to Delhi Flights) हवाई यात्रा सुविधा दी जाएगी, जिसकी शुरुआत एलायंस एयर (Alliance Air) द्वारा की जा रही और जैसे ही वायुसेना (Air Force) की मंजूरी मिल जाती है, रात में हवाई जहाजों पर यात्रा करना शुरू हो जायेगा.
गंगाजल की महिमा अनन्य है, और इसका संबंध, हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से है. गंगाजल हमारी भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस धरोहर का आनंद ले सके.