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Image- Ravivar Vichar
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ज़रा सोचिए एक बार उस बच्ची के बारे में जिसकेघर पर आकर कुछ लोगों ने बोल दिया हो की इसे तो अनाथाश्रम छोड़ आओ ये आपके ऊपर बोझ बन जाएगी...और आज उसी बच्ची ने पुरे देश का नाम रोशन कर दिया दुनिया में...बात हो रही है वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर Deepthi Jeevanji की. आइये ज आते है इनकी कहानी!
तेलंगाना के वारंगल की एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी Deepthi Jeevanji ने जापान में आयोजित World Para Championships में महिलाओं की 400 मीटर टी20 कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीतकर एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया. उन्होंने 55.07 सेकंड के समय के साथ यह कारनामा किया, जो कि 2023 में पेरिस में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में अमेरिका की ब्रेना क्लार्क द्वारा बनाए गए 55.12 सेकंड के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए हासिल किया.
20 साल की उम्र में ही दीप्ति की यह उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि उन्होंने अपने गरीबी से भरे बचपन और वित्तीय समस्याओं का सामना करते हुए यह मुकाम हासिल किया है. कुछ साल पहले तक, उनके पास हैदराबाद में प्रशिक्षण के लिए बस का टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे. बचपन से ही mental illness होने कारण गाँव में हमेशा लोग ताने मरते रहते.
रेस के दौरान, दीप्थी ने पहले 200 मीटर में ही बढ़त बना ली थी. हालांकि ब्रेना क्लार्क ने अंत में उनके करीब आने की कोशिश की, लेकिन दीप्थी ने आखिरी पांच मीटर में एक अंतिम जोर लगाकर जीत को सुरक्षित कर लिया. तुर्की की आयसेल ओंडर 55.19 सेकंड के समय के साथ दूसरे स्थान पर रहीं और इक्वाडोर की लिजानशेला आंगुलो 56.68 सेकंड के समय के साथ तीसरे स्थान पर रहीं.
टी20 वर्गीकरण उन एथलीटों के लिए है जिनके पास बौद्धिक अक्षमताएं होती हैं. दीप्थी की एथलेटिक यात्रा को गोपीचंद-मायत्राह फाउंडेशन, जो कि कोच पुल्लेला गोपीचंद द्वारा चलाया जाने वाला एक एथलेटिक्स टैलेंट सर्च प्रोग्राम है, का महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कई राष्ट्रीय स्तर के पदक भी जीते हैं.
दीप्थी की कहानी उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण की एक शक्तिशाली गवाही है, जो उनके अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्राप्त उपलब्धियों से प्रेरित करती है. ये 20 साल की बच्ची साबित कर चुकी है कि परेशानियां तो सबके पास होती है किसी के पास ज़्यादा किसी के पास काम. अगर हम उनसे ही दर गए तो आगे बढ़ना तो दूर चल भी नहीं पाएंगे.
तो जो लोग हर वक़्त बहाने बनाते रहते है, उन्हें दीप्ति जैसी और भी लड़कियों से सीखने की ज़रूरत है और समझने की ज़रूरत है कि तकलीफ तब तक खत्म नहीं होगी जब तक उसके लिए कुछ करेंगे नहीं और लड़ेंगे नहीं.