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किसी समय मजदूरी करने वाली एक महिला को साथ मिला और नर्सरी को अपनाया. पौधों की हरियाली के साथ ही इस आदिवासी महिला के चेहरा खिल उठा.यह कहानी एक उस गरीब महिला की है जो मजदूरी में भी पेट नहीं पा रही थी.
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