पिछले 28 सालों से इंदौर शहर में चल रही थेलेसिमिया (thalassemia) जैसी अति गंभीर बीमारी की जंग को नई दिशा मिल सकती है. भारत सरकार में सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने कहा - "इंदौर (Indore) की संस्था थैलेसीमिया एंड चाइल्ड वेलफेयर ग्रुप (thalassemia and child welfare group) का यह मिशन सराहनीय है. मैं प्रयास करूंगा की पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपनी 'मन के बात' (Mann ki Baat) प्रोग्राम में 'शादी के पहले युवा अपने ब्लड की जांच कराएं.और यदि दोनों में से कोई एक व्यक्ति भी केरियर है तो शादी अवॉइड करे. इस प्रक्रिया से जन्म लेने वाला बच्चा थैलेसीमिया जैसी बीमारी की सजा नहीं भुगतेगा.' सब्जेक्ट को शामिल करें. उनके आव्हान का असर इतना होगा की थैलेसीमिया मुक्त भारत बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ सकेंगे. माहुरकर इंदौर में 'सेव कल्चर-सेव नेशन' (Save Culture Save Nation) अभियान के तहत एक आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए थे.
पीएम मोदी के लिए तैयार ज्ञापन माहुरकर को सौंपती हुई डॉ भंडारी Image Credits: Ravivar Vichar
इस आयोजन में शामिल हुए मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) ने कहा - "इंदौर अच्छे कामों की हमेशा शुरुआत करता है. 'थैलेसीमिया मुक्त भारत 25' की यह सोच भी सफल होगी. भारतीय कल्चर को बचाये रखने के लिए नई पीढ़ी को आधुनिकता और फूहड़ता के बीच अंतर समझना होगा."
थैलेसीमिया एंड चाइल्ड वेलफेयर ग्रुप के आमंत्रण पर माहुरकर यहां आयोजन में शामिल हुए. ग्रुप की फाउंडर और समाजसेवी डॉ. रजनी भंडारी और उनकी संस्था पिछले 28 सालों से इस बीमारी के खिलाफ लड़ रही और जरूरतमंदों को मदद कर रही है. इतने सालों के प्रयास से शासकीय चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में लाइब्रेरी की शुरुआत करवाई. बोन मेरो ट्रांसप्लांट यूनिट सुपर स्पेशिलिटी में भी लाइब्रेरी का लाभ वो बच्चे ले रहे जो वार्ड में एक महीने से ज्यादा एडमिट होने को विवश हैं. इस पहल से बच्चों को मोबाइल की लत छुड़वाने में मदद मिल रही है. डॉ. रजनी भंडारी ने कहा - " मैं अपना सुझाव पीएम मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान को भेज चुकी हूं. शासन आदेश दे की प्रिग्नेंट महिला की दूसरी जांचों के साथ थैलेसीमिया की जांच भी अनिवार्य कर दी जाए ,जिससे गर्भ में ही पता चल जाए की बच्चे को थैलेसीमिया के जींस तो नहीं हैं. अन्यथा नियमानुसार अबॉर्शन की अनुमति दे दी जाना चाहिए. इससे बीमार बच्चों के जन्म को हम रोक सकेंगे. इस बीमारी का इलाज या विकल्प सिर्फ लगातार ब्लड चढ़ाना है."
सम्बोधित करते सूचना आयुक्त उदय माहुरकर Image Credits: Ravivar Vichar
भारत देश में लगभग एक लाख लोग थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे. इनमें 4 % लोग में यह बीमारी अनुवांशिक जींस की वजह से शिफ्ट हो रही. इसके खिलाफ ही 'थैलेसीमिया मुक्त भारत 25 ' की मुहिम छेड़ी है. यहां तक की राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी इस बीमारी और इससे जूझ रहे लोगों के प्रति संवेदनशील हैं. पटेल इस बीमारी को लेकर अपने आयोजनों में ज़िक्र करते हैं. 'सेव कल्चर-सेव नेशन' विषय पर सूचना आयुक्त भारत सरकार माहुरकर ने कहा की अश्लील कंटेंट ही असली वजह है जो मोबाइल पर उपलब्ध है और नाबालिग इसे देख चपेट में आकर अपराध में शामिल हो रहे. डॉ भंडारी ने आश्वस्त किया की इस मिशन को भी मालवा-निमाड़ में वो आगे बढ़ाएंगी. उन्होंने चिंता जाहिर की,की महिला सशक्तिकरण और आधुनिकता के नाम पर लड़कियों में फूहड़ता का बढ़ना चिंताजनक है.इस अवसर पर चाचा नेहरू अस्पताल की अधीक्षक डॉ. प्रीति मालपानी भी मौजूद थी.थैलेसीमिया से लड़ कर आत्मविश्वास के साथ जी रहे लोगों और बच्चों को सम्मानित भी किया.इस मौके पर खुशबू पत्रिका का विमोचन भी किया.
'थैलेसीमिया मुक्त भारत 25' जैसी मुहिम को लेकर रविवार विचार लगातार शामिल है. रविवार विचार भी इस गंभीर बीमारी से लोगों को बचाने के लिए शासन और सरकारों को अपने सुझाव भेज चुका है.