IIT को मिली पहली महिला डायरेक्टर
इंजीनियर, एस्ट्रॉनॉट, सर्जन, स्पोर्ट्स पर्सन जैसी पोसिशन्स पर पहुंच, महिलाओं की सफलता और प्रेरणा से भरपूर कहानियां मिल जाएंगी (women leading in every field). इस लिस्ट में प्रीति अघालयम (Preeti Aghalayam) का नाम जुड़ गया है, जो IIT की पहली महिला डायरेक्टर (first female director of an IIT) बनी.आईआईटी मद्रास (IIT Madras gets its first woman director) का जंजीबार परिसर, जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का पहला देश के बाहर शुरू किया गया परिसर है (First oofshore IIT in Zanzibar), एक महिला निदेशक पाने वाला पहला आईआईटी बन गया है.
मैसाचुसेट्स से पीएचडी और एमआईटी में पोस्टडॉक्टरल फेलो रहीं
डॉ. प्रीति ने आईआईटी मद्रास से बीटेक की डिग्री पूरी की थी. उन्हें आईआईटी मद्रास में केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering) विभाग में प्रोफेसर के पद पर चुना गया था. और हाल ही में उन्हें उसी IIT के जंजीबार चैप्टर का प्रभारी निदेशक चुना गया है. आईआईटी मद्रास की प्रोफेसर होने के साथ प्रीति मैराथन रनर (Marathon runner) और ब्लॉगर (blogger) भी हैं. उन्होंने अंडरग्राउंड कोयला गैसीकरण, ऑटोमोटिव एनओएक्स में कमी, बड़े प्रतिक्रिया तंत्र में कमी और रिएक्टर मॉडलिंग में शोध किया है. प्रीति ने दूसरे प्रोफेसरों के साथ कई रिसर्च पेपर्स (researcher) भी लिखे हैं.
एकेडेमिया में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम
अघलायम ने बताया कि जब भी उन्होंने आईआईटी मद्रास टीम के साथ जंजीबार का दौरा किया, उन्होंने देखा कि वहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम था (poor representation of women in academia). अघलायम ने 1995 में आईआईटी मद्रास से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और 2000 में मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की.उन्होंने एमआईटी, कैम्ब्रिज में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और आईआईटी बॉम्बे में फैकल्टी के रूप में काम किया है.
विश्व के केवल 20 % टॉप विश्वविद्यालयों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं. भारत के विश्वविद्यालयों में चांसलर, वाईस चांसलर और डायरेक्टर के 17 % पदों पर महिलाएं हैं: यानी हर 5 पुरुषों पर सिर्फ 1 महिला. तकनीक की फील्ड में महिलाओं को सामाजिक और लैंगिक बायस की वजह से अवसर नहीं दिए जाते. उन्हें टेक्निकल कोर्सेज और करियर से दूर रखा जाता है. लेकिन, आज कई महिलाएं इस तरह की सोच को चैलेंज कर रही हैं. IIT जैसे वर्ल्ड फेमस इंस्टीट्यूट को महिला डायरेक्टर चुनने में 70 से ज़्यादा साल लग गए.
प्रीति अघालयम ने इन आंकड़ों में सुधार लाने की उम्मीद जगाई है. हर फील्ड के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की ज़रुरत है, ताकि लैंगिक समानता और समान अवसरों को बढ़ावा मिले, आने वाली पीढ़ी को रोल मॉडल (role model) मिल सके, अकादमिक क्षेत्र में एक नया नज़रिया आये, रूढ़िवादिता ख़त्म हो, और इन्क्लूसिव इकोसिस्टम (inclusive ecosystem) के लिए सेफ स्पेस बने.