महिलाओं ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में सराहनीय भूमिका निभा कर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलता में ज़रूरी योगदान दिया है (women scientists in ISRO). इन प्रतिभाशाली और निपुण महिला साइंटिस्ट्स ने हर तरह के जेंडर बायस को चैलेंज कर एस्ट्रोनॉमी की फील्ड में अपनी क्षमता साबित की है (women in astronomy). मिशनों का नेतृत्व करने से लेकर उन्नत टेक्नॉलोजी के विकास तक, इसरो में महिला वैज्ञानिकों ने अपनी विशेषज्ञता और समर्पण साबित किया है और देश की स्पेस एक्सप्लोरेशन जर्नी पर एक अमिट छाप छोड़ी है.
कई सफल मिशन्स के बाद, ISRO चंद्रयान-3 के साथ भारत चांद पर जाने के लिए तैयार है (ISRO to launch Chandrayan-3). चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) की सहयोगी परियोजना निदेशक कल्पना कालाहस्ती (Kalpana Kalahasti) वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम का हिस्सा है. चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर एंड-टू-एंड लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है. कल्पना कालाहस्ती जैसी कई महिला वैज्ञानिक सफल मिशन्स का हिस्सा रहीं है.
'मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया' डॉ. टेसी थॉमस
भारत की मिसाइल महिला के रूप में पहचान बनाने वाली डॉ. टेसी थॉमस ('Missile Woman of India' Dr. Tessy Thomas) ने बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों के विकास में ज़रूरी भूमिका निभाई. उन्होंने अग्नि-IV और अग्नि-V मिसाइलों के लिए परियोजना निदेशक के रूप में काम किया और भारत में मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक बनी.
मिशन चंद्रयान-2 की परियोजना निदेशक डॉ. एम. वनिता
उन्होंने (Dr. M. Vanitha was the Project Director of Chandrayaan-2) मिशन की योजना, विकास और उसे लागू करने का काम बखूबी संभाला. उनके नेतृत्व में चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह पर रोवर उतारने का लक्ष्य पूरा किया था.
'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' डॉ. रितु करिधल
रॉकेट वुमन के नाम से अपनी पहचान बनाने वाली, डॉ. रितु करिधल ('Rocket Woman of India' Dr. Ritu Karidhal) मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) या मंगलयान की उप संचालन निदेशक थीं. उन्होंने भारत के पहले इंटर प्लैनेटरी मिशन की सफलता में ज़रूरी भूमिका निभाई.
एस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉ. नंदिनी हरिनाथ
डॉ. नंदिनी हरिनाथ एस्ट्रोफिजिसिस्ट (Astrophysicist Dr. Nandini Harinath) और इसरो की प्रमुख वैज्ञानिक है. वह मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM), एस्ट्रोसैट और जीएसएलवी मार्क III लॉन्च सहित कई अभियानों में शामिल रही हैं. वह भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान समुदाय में एक प्रसिद्ध नाम है.
अपनी सफलताओं के साथ, इन महिलाओं ने न केवल वैज्ञानिकों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया है, बल्कि रिसर्च और खोज की फील्ड में लैंगिक समानता की शक्ति की मिसाल भी कायम की है. महिला वैज्ञानिक ISRO का अहम हिस्सा रही हैं, लेकिन वे वर्कफोर्स का सिर्फ 20-25% हिस्सा ही है. ISRO में ज़्यादा महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने की ज़रुरत है ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा मिले और विविध नज़रिये और टेलेंट को मंच मिल सके. महिला वैज्ञानिकों का समर्थन कर, ISRO भारत के अंतरिक्ष मिशन में नवाचार (innovation) और उन्नति के नए रास्ते खोल सकता है.