नाबार्ड सीखा रहा समूह को मार्केटिंग के गुर

स्वयं सहायता समूह को नई पहचान और उनको मार्केटिंग के ने गुर सीखने के लिए नाबार्ड ने पहल की. नाबार्ड ऑफिस ने स्वयं सहायता समूहों के अलावा गैर कृषि, किसान उत्पादक संगठन,आदिवासी और ग्रामीण कारीगरों द्वारा तैयार प्रोडक्ट्स को भी मौका दिया.

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-नाबार्ड के अधिकारियों ने भोपाल के डीबी मॉल में एक्ज़ीबिशन का शुभारंभ किया (Image Credit: bhaskar bhoapl)

भोपाल के आधुनिक मॉल में  सजाए सामान 

आने वाले तीन महीने में कई स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़े सदस्यों की ज़िंदगी बदल सकती है. समूह के प्रोडक्ट्स को भोपाल (Bhopal) के डीबी मॉल में सजाया गया. हर 15 दिन में नए समूह (SHG) और उनके  प्रोडक्ट्स को वहां रखने और बेचने का मौका दिया जा रहा. पूरे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अलग-अलग जिले के समूहों को यह अवसर मिल रहा है. स्वयं सहायता समूह  (Self Help Group) को नई पहचान और उनको मार्केटिंग के ने गुर सीखने के लिए नाबार्ड ने ये पहल की. नाबार्ड (NABARD) के रीजनल ऑफिस ने स्वयं सहायता समूहों के अलावा गैर कृषि, किसान उत्पादक संगठन,आदिवासी और ग्रामीण कारीगरों द्वारा तैयार प्रोडक्ट्स को भी मौका दिया.17 नवंबर तक यह एक्ज़ीबिशन (Exibhition) होगी.

स्टॉल इन मॉल में छाए समूह 

तीन महीने चलने वाले इस एक्ज़ीबिशन में 'स्टॉल इन मॉल' (Stall In Mall) टैग लाइन के साथ ही मॉल में चार स्टॉल लगाए गए. लोगों की ये पसंद बने. इन स्टॉल का उद्घाटन नाबार्ड (NABARD) के मुख्य महाप्रबंधक (Chief GM) सुनील कुमार ने किया. सुनील कुमार ने कहा- "मध्य प्रदेश में कौशल वृद्धि, फॉरवर्ड-बैकवर्ड लिंकेज और उद्यमिता विकास की दिशा में एसएचजी, ग्रामीण कारीगरों को नाबार्ड द्वारा सभी तरह से समर्थन दिया जा रहा. इसका लाभ समूह को मिल भी रहा. इसी दिशा में यह मॉल में स्टॉल लगाया, जिससे समूह को उनके प्रोडक्ट्स बेचने की नई टेक्निक के साथ अवसर और अपहचान भी बढ़े." नाबार्ड पिछले चार साल से इस तरह के आयोजन करवा कर समूह और अन्य संस्थाओं का हौसला बढ़ा रहा.

हैंडलूम से हैंडीक्रॉफ्ट तक   

स्टॉल पर चार तरह के उत्पाद रखे गए. इनमें उज्जैन (Ujjain) के ताज महिला समूह (एसएचजी) ने बटिक प्रिंट कपड़े (कुर्ती, स्कर्ट, सूट, बेडशीट, ड्रेस सामग्री) को वह दिखाया. दमोह (Damoh) के जागेश्वर धाम समूह (एसएचजी) ने फैंसी कृत्रिम फूल, जरी-जरदोजी कपड़े (हैंडबैग, हैंगिंग बैग, पोटली) शामिल किए. सीहोर (Sehore) के नाबार्ड-सहायता प्राप्त लाभार्थियों ने बैग और हिंदी क्रॉफ्ट राखियां और भोपाल (Bhopal) की एक पहल महिला समूह (एसएचजी) ने आर्टिफिशियल जूलरी और घरेलू सजावटी सामान को स्टॉल  में ग्राहकों के लिए रखा. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) की जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) रेखा पांडेय कहती हैं -"यह समूह और अन्य कारीगरों के लिए बड़ा अवसर हैं, जहां नए संपर्क के साथ सामान को नए ग्राहक मिलेंगे."      



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