नेशनल बियर डे : चियर्स टू महुआ हेरिटेज वाइन

महुए से शराब बनाने का अधिकार सिर्फ जनजाति वर्ग के लोगों को दिया. शराब उत्पादन के लिए उन्हें लायसेंस लेना होगा. जनजाति वर्ग की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब बल्क में कानूनी तरीके से इसका उत्पादन कर सकेंगी. 

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national beer day mahua heritage

Image Credits: India Times

मध्य प्रदेश सरकार ने शराब को जनजाति वर्ग के आर्थिक विकास का ज़रिया बनाने की एक अनोखी पहल की. राज्य सरकार महुए से बनी शराब को प्रमोट करने जा रही है. महुए से बनी शराब को आजीविका का स्त्रोत बनाने के लिए उसे प्रदेश में हेरिटेज मदिरा का दर्जा दिया गया. साथ ही, शराब पर लगने वाले आबकारी और निर्यात शुल्क को अगले सात वर्षों तक के लिए माफ़ किया. महुए से शराब बनाने का अधिकार सिर्फ जनजाति वर्ग के लोगों को दिया. शराब उत्पादन के लिए उन्हें लायसेंस लेना होगा. जनजाति वर्ग की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब बल्क में कानूनी तरीके से इसका उत्पादन कर सकेंगी. 

SHG महिलाओं को महुआ शराब बनाने और बेचने में भी सरकार से मदद मिलेगी. अभी तक इसे देश भर में बेचने और बढ़ावा देने के लिए कोशिशें हुईं थी, जिससे प्रदेश के जनजाति वर्ग को रोजगार का जरिया भी मिला था. लेकिन अब सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ने का फैसला लेते हुए इसे यूरोप और अफ्रीका में भी बेचने का प्लान किया. हेरिटेज शराब के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इस पर लगने वाले मोटे निर्यात शुल्क या एक्सपोर्ट ड्यूटी पर उत्पादकों को सात सालों तक के लिए छूट दी गई. 

प्लान के हिसाब से महुआ शराब को पहले प्रदेश के प्रसिद्द खजुराहो जैसे टूरिस्ट प्लेसेस के होटलों में प्रमोट किया जायेगा. यहां आने वाले दुनियाभर के टूरिस्ट इसका स्वाद ले सकेंगे. यही टूरिस्ट अपने देशों में इसके इंपोर्ट को बढ़ावा देंगे. यूरोप और अफ्रीका के देशों में हेरिटेज मदिरा को एक्सपोर्ट करने के लिए रणनीति बनाई जाएगी. 

मध्य प्रदेश में बनने वाली अंगूर और शहद की शराब भी कम प्रसिद्द नही है. महुए की शराब के साथ अंगूर और शहद की शराब को भी कुछ छूट मिलेगी. सरकार ने अंगूर और शहद की शराब को आबकारी शुल्क में 3 वर्ष की छूट दी जाएगी. निर्यात शुल्क में कोई रहत नहीं है. इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए रतलाम और कई जगहों पर अंगूर की खेती को बढ़ावा मिल रहा है. प्रदेश में 51 लाख से ज़्यादा महिलाएं SHG से जुड़ी हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी जनजाति वर्ग की महिलाओं के लिए ये आमदनी का एक अच्छा अवसर साबित होगा. और साथ ही मध्य प्रदेश की पारंपरिक शराब को देश और दुनिया में बढ़ावा मिलेगा. 

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