भारत में आज भी कुछ चीज़ें, कुछ विचारधाराएं और कुछ धारणाएं, तो इस तरह से जड़ों में बसी हुई है, जिन्हें निकलना कभी कभी नामुमकिन लगता है. क्योंकि आज भी लोग कुछ ऐसी सोच को आगे बढ़ा रहे है जो किसी काम की ही नहीं है. इसमें सबसे बड़ी चीज़ है लड़कियों को और महिलाओं को किसी भी तरह से कम समझना.
आज भी लड़कियों पर अपना हुक्म जमाने के लिए तैयार है लोग. चाहे उनका काम हो या उनका घर. काम करने के लिए भी किसी ना किसी से पूछने की ज़रूरत है हमें. इसी बात से परेशान होकर बहुत सी महिलाएं अपने हक़ के लिए लड़ने से भी पीछे नहीं हटती. उनमें से एक है पायल चावला.
एडवोकेट पायल चावला ने सहा लिंग संबंधित भेदभाव
"मैं एक वकील हूँ और मैंने दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक से कानून में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है. मैं उन चुनींदा महिलाओं में से हूँ जिन्हें परिवार का अटूट समर्थन प्राप्त है. मैं हर मायने में एक सशक्त महिला हूँ, फिर भी मेरे साथ ये अन्याय हुआ," उन्होंने कहा.
ये कहना है एक वकील का. तो आप सोच सकते है की आम लड़कियों को हर दिन क्या क्या सहना पड़ता होगा. चावला ने घरेलू हिंसा से बचने और एक बड़ी कंपनी से गर्भावस्था और मातृत्व भेदभाव का सामना करने के बारे में बताया है जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में आठ साल की कानूनी लड़ाई लड़ी है.
पायल चावला ने शुरू किया all-women law firm JusContratus
पायल चावला ने हाल ही में अपने all-women law firm JusContratus की स्थापना के पीछे के उद्देश्यों को साझा किया, जो arbitration और corporate law पर केंद्रित है. पायल चावला वाशिंगटन, डीसी में आयोजित वर्ल्ड बैंक कॉन्फ्रेंस ऑन जस्टिस एंड रूल ऑफ लॉ में "ब्रिजिंग द जेंडर गैप एंड एक्सेस टू जस्टिस" विषय पर बोल रही थीं.
अन्य पैनलिस्टों में पेरू के सुप्रीम कोर्ट की जज जेनेट टेलो और केन्या की न्यायपालिका के चीफ रजिस्ट्रार पॉल नडेमो शामिल थे. इस पैनल का संचालन वर्ल्ड बैंक ग्रुप की जेंडर डायरेक्टर हाना ब्रिक्सी ने किया.
पायल चावला का लॉ फर्म JusContratus
पायल चावला ने अपनी फर्म के बारे में बताते हुए कहा कि शुरुआत में उन्होंने फर्म को वित्तीय सुरक्षा के लिए स्थापित किया था, लेकिन उनका व्यापक उद्देश्य अन्य महिलाओं को संपत्ति बनाने और सशक्त बनाने का था, जो समान संघर्षों का सामना कर रही थीं और जिन्हें समर्थन, संसाधनों और लड़ने के साधनों की कमी थी.
"मुझे पता था कि मेरे जैसे अन्य लोगों के पास समर्थन, संसाधन और लड़ने के साधन नहीं हैं. अधिकांश को यह भी समझ नहीं आता कि वे जो अनुभव कर रहे हैं, वह दुर्व्यवहार है," उन्होंने समझाया.
चावला ने कहा कि जब उन्होंने फर्म की स्थापना की, तो उन्होंने एक ऐसा कार्यस्थल सोचा जो उनके अपने अनुभवों से मेल खाता हो.
वे कहती है- "जब मैंने अपनी लॉ फर्म की स्थापना की, तो मैंने एक ऐसा कार्यस्थल सोचा जो मेरे अपने अनुभवों से मेल खाता हो. मैंने उन सहयोगियों की तलाश की जिन्होंने समान चुनौतियों का सामना किया और समान ताकतों का उपयोग किया. विशेष रूप से महिलाएं मेरे दिमाग में थीं."
उन्होंने फर्म की संरचना का वर्णन किया, जो पेशेवर और घरेलू कर्तव्यों की दोहरी जिम्मेदारियों को पूरा करती है, जिससे महिलाओं को घर से काम करने की अनुमति मिलती है और विकास और उन्नति के लिए एक सहायक वातावरण सुनिश्चित किया जाता है.
पायल चावला ने all women व्यवसाय चलाने की चल रही चुनौतियों को भी स्वीकार किया, जिसमें समाज की रूढ़ियों को तोड़ना, काम-जीवन संतुलन सुनिश्चित करना और वकीलों के लिए भारतीय साझेदारी प्रतिबंधों के तहत व्यवसाय का विस्तार करना शामिल है. अपने फर्म के माध्यम से, वह कानूनी उद्योग में लैंगिक असमानता को कम करने और अन्य व्यवसायों को इस मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं.
वे अंत में कहती है- "मेरा उद्देश्य कानूनी उद्योग में लैंगिक असमानता को कम करना था, विशेष रूप से भारत जैसे पितृसत्तात्मक समाज में. सबसे महत्वपूर्ण, यदि मैं पर्याप्त व्यवसायों को इस मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकूं, तो यह मेरे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में मुझे मिली चुनौतियों के खिलाफ मेरी जीत होगी."