Supreme court में पहली deaf lawyer.... Sarah Sunny

बेंगलुरु की 27 वर्षीय वकील सारा सनी ने सुप्रीम कोर्ट में किसी मामले पर बहस करने वाली भारत की पहली बधिर वकील बनकर इतिहास रच दिया. अदालत ने एक सांकेतिक भाषा दुभाषिया को उनकी सहायता करने की अनुमति दी.

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रिसिका जोशी
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sarah sunny first deaf lawyer of supreme court.

Image- Ravivar Vichar

कहते है न जिन लोगों के पास किसी एक sense organ की कमी होती है उनका sixth sense और दिमाग औरों से कही ज़्यादा तेज होता है. इसी का उदहारण बनी है Sarah sunny. एक ऐसी लड़की जिसने अपने जैसे हर व्यक्ति का सर गर्व से ऊँचा कर दिया है. वे सुन नहीं सकती, लेकिन इस बात को उन्होंने अपनी ताकत बनाकर देश के सबसे बड़े court में साबित कर दिया कि अगर ठान ले तो सब मुमकिन है.

सारा सनी हैं भारत के सुप्रीम कोर्ट की पहली deaf lawyer

sarah sunny first deaf lawyer supreme court

Image Credits: India today

बेंगलुरु की 27 वर्षीय वकील सारा सनी ने supreme court में case पर बहस करने वाली भारत की पहली बधिर वकील (First deaf lawyer on supreme court in india) बनकर इतिहास रच दिया है. ऐतिहासिक क्षण तब आया जब वह सितंबर में chief justice DY Chandrachud (first female judge of supreme court) ने कोर्ट में सांकेतिक भाषा interpreter को उनकी सहायता करने की अनुमति दी. Inclusivity की ज़रूरत समझते हुए अदालत ने 6 अक्टूबर को सुश्री सनी के लिए अपना पहला interpreter नियुक्त किया, जिससे कार्यवाही में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित हुई. इस कदम को बधिर समुदाय के लिए भारतीय कानूनी प्रणाली को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है.

यह मौका बन चुका हैं ऐतिहासिक

प्रमुख वकील मेनका गुरुस्वामी (female lawyers in india) ने इस अवसर को "ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण" बताया और इसके दीर्घकालिक प्रभाव की क्षमता पर ज़ोर दिया. उम्मीद है की यह कदम और भी बधिर छात्रों को कानून का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करेगा और अधिक कानूनी प्रणाली inclusivity में आगे बढ़ेगी.

सौरव रॉयचौधरी बने interpreter

first deaf lawyer of supreme court

Image credits: the statesman

सौरव रॉयचौधरी, जिन्होंने सनी की पहली सुप्रीम कोर्ट उपस्थिति के दौरान उनके लिए अनुवाद किया था, के पास कोई कानूनी पृष्ठभूमि नहीं थी, लेकिन उन्हें वकीलों और कानूनी छात्रों के लिए अनुवाद करने का अनुभव था. उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में बधिर वकीलों की भी सहायता की थी. हालाँकि, वर्तमान में, कोई भी भारतीय सांकेतिक भाषा interpreter कानूनी शब्दावली में प्रशिक्षित नहीं है और शायद इसीलिए अभी तक कानूनी कार्यवाही का अनुवाद करना एक चुनौती था.

बेंगलुरु में जन्मे सनी दो साल से वकालत कर रही है. उन्होंने लिप रीडिंग सीखी है और सेंट जोसेफ कॉलेज में पढ़ाई की. 2021 में, उन्होंने वकील बनने के लिए बार परीक्षा उत्तीर्ण की और अपना कानूनी करियर शुरू किया. सनी के परिवार ने उनकी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सारा सनी की ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल उनके लिए कई राहें खोली हैं, बल्कि भारत में inclusive और accessible legal system का मार्ग भी तैयार किया हैं. इससे बधिर समुदाय को लाभ ओट होगा ही, साथ ही उनकी भावी पीढ़ियों को आगे बढ़कर काम करने की प्रेरणा मिलेगी.

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