प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर साल 2023 को UN ने 'Millet Year' घोषित किया है. केंद्रीय और राज्य सरकारों ने इस पहल को पुरे देशी में फ़ैलाने के लिए बहुत सी परियोजनाएं बनाई और अभी भी इसे आगे बढ़ाने के लिए पहल कर रहीं हैं. कुछ समय पहले वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रसाद को बाजरे से बनाना शुरू किया था. इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए तेलंगाना सरकार के प्रमुख मंदिरों में भी अब बाजरे से बनाने वलाल प्रसादम श्रद्धालुओं को दिया जाएगा. बंदोबस्ती (Endowment) विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रसादम बनाने का निर्णय भक्तों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया. शुरूआत में, विभाग यदाद्री श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर, बालकमपेट येल्लम्मा मंदिर, सिकंदराबाद में महाकाली मंदिर, आदिलाबाद में बसारा सरस्वती मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों में प्रसादम शुरू होगा. अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में, बालकमपेट येल्लम्मा मंदिर बाजरा के साथ प्रसादम तैयार कर रहा है.
बंदोबस्ती मंत्री ए इंद्रकरन रेड्डी ने मंदिरों को बाजरा के साथ प्रसादम तैयार करने के आदेश देने वाली एक फाइल पर हस्ताक्षर किए थे. इसी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "मंदिर प्रबंधन भक्तों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वच्छ वातावरण में प्रसादम बनाएगा. मंदिर गुड़ का उपयोग बढ़ा रहे हैं और अब बाजरा को प्राथमिकता दे रहें है. लड्डू तैयार करने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री में अरिकालु, कोरालू (फॉक्सटेल मिलेट राइस), एंडु कोरालू (ब्राउन टॉप मिलेट), समालू (लिटिल मिलेट), उधलू (बार्नयार्ड मिलेट), गुड़, शुद्ध घी, काजू और किसमिस शामिल हैं. बाजरा एंटी-एसिडिक, ग्लूटेन फ्री और शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है. ये ब्लड प्रेशर को कम करने, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्थितियों जैसे गैस्ट्रिक अल्सर आदि को कम करने में प्रभावी हैं. देश के लोगों का स्वस्थ्य सबसे ज़्यादा उनके खाने पर निर्भर करता है.
मंदिरों में जाने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को ध्यान में रखतें हुए सरकार की इस पहल से देशवासियों के स्वास्थ पर बहुत अच्छा फर्क पड़ेगा. साथ ही इस प्रसादम को तैयार करने के लिए सरकार self help groups की मदद लेकर उन्हें भी आजीविका का स्त्रोत बनाकर दे सकती है. SHG की महिलाओं के लिए यह एक बहुत बड़ी पहल साबित होगी.