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Image - Ravivar Vichar
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महिलाओं के हितों की रक्षा और स्थानीय प्रशासन में उनकी भागीदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से 29 अप्रैल 2024 से 3 मई 2024 तक न्यूयॉर्क (New York) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization UNO) के कमीशन ऑन पॉपुलेशन डेवलपमेंट (Commission On Population Development CPD) सम्मेलन हुआ. इसमें तीन मई को भारत सरकार (Government Of India GOI) के पंचायती राज मंत्रालय के सहयोग से भारत में स्थानीय प्रशासन में महिलाओं की अग्रणी भूमिका का विशेष सत्र रखा गया.
स्थानीय प्रशासन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ते भारत के मजबूत कदमों की गूंज संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर सुनाई दी. सरकार के प्रयासों की सफलता के प्रतीक के रूप में राजस्थान, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश से महिला सरपंच और एक जिला परिषद अध्यक्ष ने 3 मई को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में आयोजित सम्मेलन में अपने अनुभवों के साथ इस बदलाव की कहानी सुनाई.
सतत विकास के लक्ष्य पर भारत स्थायी मिशन के रूप में काम कर रहा है और इनका स्थानीयकरण करते हुए 17 लक्ष्यों को नौ थीम में विभाजित किया गया, जिनमें से एक महिला अनुकूल पंचायत (Woman Friendly Panchayat) भी थी.
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पंचायती राज सचिव विवेक भारद्वाज (Vivek Bharadwaj) के नेतृत्व वाले इस दल में भारत की तीन महिला जनप्रतिनिधियों को शामिल किया गया था. इनमें त्रिपुरा के पाहिजाला जिला पंचायत की अध्यक्ष सुपिरया दास दत्ता, राजस्थान के झुंझुनू स्थित लंबी अहीर ग्राम पंचायत की सरपंच नीरू यादव और आंध्र प्रदेश की पेकेरू ग्राम पंचायत की सरपंच हेमा कुमारी कुनुकू है. इन तीनों महिला जनप्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच से बताया कि उन्होंने महिलाओं के हितों की रक्षा, उनकी स्थानीय प्रशासन में सक्रियता आदि के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं और उनके परिणाम क्या रहे.
भारत सरकार की ओर से इस दल का नेतृत्व पंचायती राज सचिव विवेक भारद्वाज ने किया. सत्र में उनका भी संबोधन हुआ, जिसके माध्यम से उन्होनें महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की रणनीति, प्रयास और सफलता का ब्योरा रखा. उन्होनें बताया कि भारत में पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों के कुल निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में 46 प्रतिशत हिस्सेदारी महिलाओं की है. साथ ही हाल ही में केंद्र सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को संसद में पारित कराया है, जो कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिला सदस्यों की एक तिहाई भागीदारी को सुनिश्चित करेगा.
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