आटे से सिर्फ रोटी नहीं लाखों क्विंटल गेहूं खरीद रही महिलाएं

हिलाएं यानि किचन और आटे से रोटी बनाने की बात अब गुजरे ज़माने की हो गई. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मौका मिला और उन्होंने साबित कर दिया की वे सिर्फ रोटी नहीं बनाना जानती बल्कि लाखों क्विंटल गेहूं खरीद कर उसका हिसाब भी रख सकती हैं.

New Update
Agar Malwa

Image Credits: लवकुश ,आगर मालवा

 

आगर ज़िले में महिला समूह द्वारा संचालित 15 गेहूं उपार्जन केंद्रों पर अब तक ३ लाख 56 हजार 294 क्विंटल से अधिक की खरीदी कर ली. इन समूहों इस सीजन में 4 हजार 384 किसानों से खरीदी की. जो समूह द्वारा अब तक की रिकॉर्ड खरीदी मानी जा रही. जिला उपार्जन समिति ने इन समूहों का चयन किया. शासन ने समूह की महिलाओं को और अधिक आर्थिक मजबूत बनाने के लिए इस काम में भी जोड़ने की पहल की. 

महिलाएं यानि किचन और आटे से रोटी बनाना की बात अब गुजरे ज़माने की हो गई. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मौका मिला और उन्होंने साबित कर दिया की वे सिर्फ रोटी नहीं बनाना जानती बल्कि लाखों क्विंटल गेहूं खरीद कर उसका हिसाब भी रख सकती हैं. आगर जिले में समूह की महिलाओं ने प्रशासन के सहयोग से रिकॉर्ड गेहूं उपार्जन कर दिया. अब आजीविका मिशन भविष्य में भी ऐसे समूह से जुड़ीं महिलाओं को ही ये जवाबदारी सौंपने के मूड में है. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक नया रास्ता और खुल गया.

Agar Malwa

Image Credits समूह की महिलाएं वेयर हाउस में तौलकांटे के पास

कलेक्टर कैलाश वानखेड़े कहते हैं- "स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने साबित कर दिया कि वे घरेलु काम के साथ लाखों के हिसाब-किताब भी संभाल सकती हैं. इस काम से महिला सशक्तिकरण के प्रयासों को गति मिलेगी. जहां महिला समूह को कमीशन के रूप में बेहतर आय होगी, वहीं महिलाओं की निर्णय क्षमता में वृद्धि होगी. सभी वेयर हॉउस सेंटर्स पर खरीदी समूह कि महिलाओं द्वारा की जा रही है. उनका आत्मविश्वास लगातार बढ़ा."

कलेक्टर वानखेड़े ने इसके अलावा आजीविका मिशन से जुड़े समूह की महिलाओं के लिए दूसरे रोजगार भी शुरू करवाए. उन्होंने निर्देश दिए कि महिलाओं को उनकी इच्छा और काम में रूचि के अनुसार कारोबार से जोड़ा जाए.

आजीविका मिशन कलेक्टर कैलाश वानखेड़े स्वयं सहायता समूह