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किसी भी तरह की हिंसा, व्यक्ति, समाज और देश के लिए सही नहीं होती. समाज के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से पर हो रही हिंसा से देश दुनिया की मनोवृति का पता चलता है. महिलाओं के खिलाफ हो रही अलग अलग हिंसा चाहे घर में या बाहर, हर तरह से गलत और निंदनीय है.

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हेमा वाजपेयी
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marital rape domestic violence

Image Credits: Vecteezy

किसी भी तरह की हिंसा (violence) व्यक्ति समाज देश के लिए सही नहीं होती. समाज के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से पर हो रही हिंसा से देश दुनिया की मनोवृति का पता चलता है. महिलाओं के खिलाफ हो रही अलग अलग हिंसा चाहे घर में या बाहर, हर तरह से गलत और निंदनीय है. WHO द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर लगभग 3 में से 1 (30%) महिला ने अपने जीवनकाल में शारीरिक तथा यौन अंतरंग साथी हिंसा या गैर- साथी यौन हिंसा का शिकार होती है. हिंसा, महिला के शारीरिक, भावनात्मक, यौन और प्रजनन स्वास्थय पर नकारात्मक प्रभाव डालती  है. घरों में जब हिंसा या दुर्व्यवहार की बात आती है तो समाज का ध्यान परिवार के सदस्य पर नहीं आता.  एक महिला को अपने परिवार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बहुत साहस की ज़रुरत होती है.हमारा देश साक्षरता विज्ञान (Science) टेक्नोलॉजी (Technology) में लगातार बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ महिलाओं के साथ हो रही हिंसा में भी लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. यह ऐसा अपराध है जो रुक नहीं रहा. महिलाओं को कुरीतियों में बांधकर उनके साथ कई तरह के अत्याचार किये जाते है जैसे छेड़छाड़, एसिड अटैक (acid attack), घरेलु हिंसा (domestic violence), बलात्कार (rape), दहेज़ प्रथा (dowry system), भ्रूण हत्या (femicide) आदि. महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों का कारण यह समाज एवं इसकी कुरीतियाँ भी है. यह समाज लड़की के साथ गलत होने पर भी उस लड़की को ही दोष देता है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 12 जून को जारी 2023 जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स (GSNI) रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि दुनिया भर में दस में से नौ पुरुष और महिलाएं, महिलाओं के बायसनैस रखते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक "दुनियाभर में 69 प्रतिशत लोगो का मानना हैं की पुरुष बेहतर राजनितिक नेता होते हैं, और 40 प्रतिशत से अधिक लोग मानते हैं की पुरुष महिलाओं की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अधिकारी बनते है. इसी रिपोर्ट के मुताबिक एक चौकाने वाला सच सामने आया हैं जिसमे  80 देशों के 25 प्रतिशत लोगो का मानना हैं की पतियों द्वारा पत्नियों  को पीटना जायज हैं ". लैंगिक सशक्तिकरण (Gender Empowerment) आज दुनियाभर में चर्चा का विषय है. राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission For Women) ने 2022 में घरेलु हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा श्रेणी में 6900 से अधिक शिकायते दर्ज की है. महिलाओं के खिलाफ अपराधों की विभिन्न श्रेणियों में NCW द्वारा दर्ज की गयी 30900 से अधिक शिकायतों में से ये मामले लगभग 23 % थे. COVID - 19 महामारी के दौरान विभिन्न श्रेणियों में कुल शिकायतों की संख्या 2020 में लगभग 23700 से 30 % से अधिक बढ़कर 2021 में 30800 से अधिक हो गयी हैं. 2022 में अधिकतम शिकायतें तीन श्रेणियों में दर्ज हुई- दहेज़ सहित विवाहित महिलाओं के उत्पीड़न का मामला (15 %), घरेलु हिंसा (domestic violence) के खिलाफ महिलाओं की सुरक्षा (23 %), और सम्मान के साथ जीने का अधिकार सुरक्षित करने क लिये (31 %).

दहेज़ प्रथा एक गंभीर सामाजिक बुराई है जिसके कारण समाज में महिलाओं के प्रति यातनाएँ और अपराध उत्पन्न हुए है और साथ ही में भारतीय वैवाहिक पद्धति प्रदूषित हुई है. हाल ही में इंदौर के देपालपुर जिले में दहेज़ की लालच में शादी के महज 17 दिन बाद ही पति ने पत्नी को मौत के घाट उतार दिया.

एक लड़की के बलात्कार होने के बाद लोग बलात्कारों को गलत साबित करने और उनको सजा दिलाने के बजाय लड़की के चरित्र पर उंगली उठाते है. उसके पहनावे को देखते है और बलात्कारों को गलत कहने के बजाए लड़की के पहनावे पर उंगली उठाते है. लोगो द्वारा यह बोलना की लड़की ने छोटे कपड़े पहने थे इसलिए उसका बलात्कार हुआ है यह उन लड़को और पुरुषों को बढ़ावा देने का काम करता है जो गंदी मानसिकता रखते है.

मेल गेज़ (male gaze), फिल्मो के साथ-साथ रोजमर्रा के जीवन में यह 15-30 वर्ष की लड़की ज़रूर अनुभव करती है, जिसमे महिलाओं को केवल एक वस्तु के रूप में देखा जाता है. पुरुषों की नज़र महिलाओं के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थय पर नकारात्मक प्रभाव डालती है जैसे सड़क पर चलती लड़कियों का ध्यान इस बात पर केंद्रित होता है की वह ऐसी तो नहीं दिख रही कि कोई पुरुष आकर उनके स्पेस में दखल दे. 

विश्व के 185 देशों में से 77 देशों में व्यवाहिक बलात्कार को अपराध माना जाता है, जबकि भारत उन 34 देशो में से एक है जो स्पष्ट रूप से व्यवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है. मैरिटल रेप (Marital Rape) या वैवाहिक बलात्कार भारत में अपराध नहीं हैं, अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर सेक्सुअल रिलेशन (sexual relation) बनाता हैं तो ये मैरिटल रेप कहा जाता है पर इसके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है. IPC की धारा 375 के, अपवाद 2 में, वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया हैं और कहा गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी ही पत्नी, जो 18 वर्ष से कम की नहीं है, के साथ उसकी सहमति के बिना यौन सम्बन्ध बनाना बलात्कार नहीं है. इसी मामले के समकक्ष में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि एक आरोपी पर दंड संहिता में छूट की परवाह किये बिना मुकदमा चलाया जाना चाहिए - "एक आदमी एक आदमी है; एक कार्य एक कार्य है; बलात्कार, बलात्कार है, भले ही यह किसी , 'पति' पुरुष द्वारा महिला 'पत्नी' पर किया गया हो." महिलाओं के खिलाफ अधिकांश अपराधों में न्याय और उसका समाधान मिलने में बहुत समय लगता है जिस वजह से अधिकतर महिलाये शिकायत दर्ज ही नहीं कराती है. ZERO FIR के बारे में लोगो को शिक्षित करने की ज़रुरत है , क्यूंकि ज्यादातर महिलाये और पुरुष कानूनी अधिकारों से अनभिज्ञ हैं .

सरकारें महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए कई प्रयास कर रही है. जैसे हिम्मत app (Delhi Government), वन स्टॉप सेंटर (OCC), महिला हेल्प लाइन (WHAL), उज्ज्वला होम, स्वाधारग्रह, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहयता प्रणाली (112), माय सेफ्टी पिन, जैसे आधुनिक संगठन एप्लीकेशन बनाये गए है. आज के दौर में महिलाओं को जागरूक करने की बहुत ज़्यादा आवश्यकता है. महिलाओं को शिक्षित करने का अर्थ है पुरे परिवार को शिक्षित करना. भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या के समाधान के लिए नई शिक्षा नीति (New Education Policy) में कई प्रमुख बिन्दुओ को शामिल किया जा सकता है, जैसे व्यापक यौन शिक्षा (sex education), लिंग संवेदीकरण कार्यक्रम (Gender sensitization program), सशक्तिकरण और जीवन कौशल शिक्षा (Empowerment and life skills education), सामुदायिक व्यस्तता (community engagement), मीडिया साक्षरता (media literacy), लैंगिक समानता (gender equality) तथा लैंगिक सशक्तिकरण जैसे सब्जेक्ट पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जिससे महिलाओं के प्रति दृष्टिक्रोण में सकारात्मक बदलाव आ सके. छात्रों को उनके सामने आने वाले खतरों के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल में आत्मरक्षा कक्षाएं शुरू करनी चाहिए. महिलाओं की रोज़गार क्षमता तथा व्यवसाय स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान करने की आवश्यकता है.

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