लिवर का दुश्मन फ्रूट ज्यूस !

आप जिसे फलों का ज्यूस समझ पी रहे हैं,फाइबर को छान लिया जाता है.आप सिर्फ फलों में पाए जाना वाला फ्रक्टोज़ (शुगर) को पीते हैं. और लगातार इसका सेवन करने से घातक हो सकता है. इसकी बजाए सिमित मात्रा में सीधे फलों को काट कर खाना चाहिए.

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"आप बहुत बड़ी गलतफहमी हैं कि फ्रूट ज्यूस बहुत हेल्दी है. हम रोज़ सेवन करते हैं. हमें कुछ नहीं होगा. जबकि नई रिसर्च में साबित हो गया कि यह भी एक जंक फ़ूड श्रेणी का ही हिस्सा है. इससे बचना होगा.सीमित मात्रा में फलों को सीधे खाना ही सबसे फायदेमंद है. अन्यथा हमारा लिवर चपेट में आ जायेगा और पता भी नहीं चलेगा. यह उतना ही खतरनाक है जितना अल्कोहल लेने से लिवर डैमेज होता है."

सामान्यः रूप से लोग आंखों की तो देखभाल फिर भी कर लेते हैं, लेकिन लिवर को लेकर बेखबर रहते हैं. लक्षणों का एकदम पता नहीं चलता और हमारा लिवर लास्ट स्टेज में आ जाता है. इलाज मुश्किल.जबकि लिवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ऑर्गन है. लिवर की समय-समय पर देखभाल ही उसकी सेफ्टी है. लिवर से जुड़ी बिमारियों को और उससे होने वाले शारीरिक नुकसान को जानना जरुरी है। इस वर्ष वर्ल्ड लिवर डे की थीम भी लिवर की नियमित देखभाल और फैटी लिवर के प्रति जागरूकता है।     . 
लिवर के फंक्शन को ऐसे समझिए- "हम चाहें कुछ भी खाते हैं या पीते हैं उसको अलग-अलग छांटने का मकाम लिवर ही करता है. जैसे आजकल हर शहर,कस्बों में  नगर निकाय के कर्मचारी गीला कचरा,सूखा कचरा,नुकसानदायक प्लास्टिक और ऐसी तमाम चीज़ों को अलग-अलग करते हैं, ठीक लिवर भी नुकसानदायक पार्टिकल्स, हार्ड पार्टिकल्स, सहित यही प्रक्रिया को अपनाता है. इसके बाद किडनी अपना रोल निभाता है.

अब बात एक बार फिर फ्रूट ज्यूस की. आप जिसे फलों का ज्यूस समझ पी रहे हैं,फाइबर को छान लिया जाता है.आप सिर्फ फलों में पाए जाना वाला फ्रक्टोज़ ( शुगर) को पीते हैं. और लगातार इसका सेवन करने से घातक हो सकता है. इसकी बजाए सिमित मात्रा में सीधे फलों को काट कर खाना चाहिए. लिवर दो तरह से डैमेज होता है. पहला अल्कोहल इफेक्ट दूसरा नॉन अल्कोहल इफेक्ट से. नॉन अल्कोहल में कई तरह से लिवर को डैमेज करने के कारण बन जाते हैं.

समाज में एक और धारणा ने जड़ें जमा ली. लोगों का मानना है कि आयुर्वेदिक दवाइयां कभी नुकसान नहीं करती. यह भी खतरनाक है. कोविड काल में गिलोय को कई तरह से सेवन किया गया. दिल्ली में हमारे पास लिवर डैमेज केस में वे लोग भी शामिल थे जिन्होनें गिलोय का बेहिसाब मन से सेवन किया. जंक फ़ूड,कॉम्प्लीमेंट्री मेडिसिन लिवर के लिए घातक है.लिवर से जुड़ी सबसे बड़ी शिकायत फैटी लिवर का हो जाना है. जो जन सामान्य भी समझता है. लेकिन इसके कारण को नहीं समझता. यदि आप जरूरत से ज्यादा फ़ूड कैलोरी लेते हैं तो फैटी लिवर हो जाने की संभावनाएं बन जाती है. समय पर इलाज करवाने पर इसे नार्मल किया जा सकता है. फैटी लिवर कई दूसरी बिमारियों का बड़ा कारण बन जाता है। इसी तरह हैपिटाइटिस B और C  के वायरस कभी शरीर से अलग नहीं होते. सड़क पर बैठे लोगों से टेटू न बनवाएं.ऐसे ही शेव रेज़र भी साफ उपयोग करें. यदि किसी परिवार में हैपिटाइटिस है तो परिवार  के सदस्यों को वेक्सिनेशन करवाना ही चाहिए. 

हमारे देश में पीलिया या जोंडिस को लेकर भी बहुत गलतफहमी है. पीलिया बीमारी नहीं बल्कि लिवर के ख़राब होने का इशारा है. तत्काल डॉक्टर्स को दिखाना चाहिए. ग्रामीण इलाकों में अभी भी पीलिया को लेकर टोन-टोटके किए जाते हैं,इस अन्धविश्वास से दूर लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. ख़ास अभी भी हमारी सामाजिक व्यवस्था में महिलाएं खुद के स्वास्थ्य पर कभी ध्यान नहीं देती. जबकि घर का कल्चर तभी सेट होगा जब महिलाएं भी भोजन में पूरी कैलोरी खाए. व्यायाम और संतुलित भोजन से ही हम अपने लिवर को बढ़िया रख सकते हैं. लिवर ट्रांसप्लांट को लेकर भारत में बहुत आधुनिक तकनीक विकसित हुई बावजूद सरकार को चाहिए कि हर मेडिकल कॉलेजों में हैपिटॉल लिवर सेंटर डिपार्टमेंट खोले. इससे लोगों को और अधिक इलाज मिल सके. 

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-डॉ मीनू बाजपेई (ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन इंस्टीट्यूट ऑफ़ लिवर एंड बिलियरी साइंस, नई दिल्ली) से हुई बातचीत के अनुसार 

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