सोशल मिडिया (social media) और जिम (gym) के सहारे हेल्थ कोंशस (health conscious) का बढ़ता क्रेज़ कई लोगों की हेल्थ पर भारी पड़ रहा. खासकर महिलाओं के लिए यह उत्साह मुसीबत बन रहा. कई महिलाएं बिना एक्सपर्ट योग टीचर के सोशल मिडिया पर वीडियो देख घर में ही योग और प्राणायाम कर रही. ऐसे हालातों में हेल्थ सुधार और संतुलित बॉडी बनाने की जगह आधा-अधूरा ज्ञान दूसरी बिमारियों का कारण बन गया. समय के साथ इसकी असलियत और सही मार्गदर्शन नहीं लिया तो योग और प्राणायाम से ज्यादा परेशानी खड़ी हो सकती है. यदि किसी महिला को ब्लड प्रेशर और शुगर की दिक्क्त हो तो बिना अपने डॉक्टर से सलाह लिए कठिन योग न करें.
आजकल युवा पीढ़ी में योग (yoga) और प्राणायाम (meditation) का क्रेज़ बहुत अधिक बढ़ गया. महानगरों की छोड़िए छोटे-छोटे शहरों में भी जिम सेंटर्स खुल गए.इसे व्यावसायिकरण में धकेल दिया, जहां एक्सपर्ट न ट्रेनर हैं न सुविधा. आप कहीं भी नज़र दौड़ाएं जिम में भीड़ देखी जा सकती है. कुछ हेल्थ और कुछ फैशन का हिस्सा बन चुके जिम सेंटर में युवा वर्ग अधिक जा रहा है. चाह कर भी तुलनात्मक महिलाओं की संख्या जिम सेंटर्स में कम है.अधिक मंहगे जिम या ट्रेनर के पास तक पहुंच नहीं पा रही. एक कारण घर के कामों में उलझ कर रह जाना भी है। नतीजा यह कि ये युवतियां और महिलाएं अपने ही यूट्यूब और दूसरे सोशल मिडिया साधनाओं से घर पर ही योग और प्राणायाम करती हैं. यह घातक हो सकता है. मेरे पास ऐसे कई केस आए जो सोशल मिडिया से सीखने के चक्कर में दूसरी बिमारियों की परेशानी में आ गईं. कुछ महिलाओं ने बताया कि उनको टीवी और मोबाइल से योग करने में फायदे की जगह पेट दर्द तो कुछ महिलाओं ने सिर में भारीपन के साथ सर्वाइकल (cervical) और पैरों में दर्द बढ़ गया.
योग मुद्रा में विशेषज्ञ पूजा (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
महंगे जिम और घर की व्यस्तता के कारण यदि महिलाएं योग के लिए सही जगह नहीं पहुंच पा रहीं तो कई योग ऐसे सरल तरीके कर अपनी दिनचर्या को नियमित कर सकती है. " उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है. लोगों की धारणा है कि योग का मतलब सिर्फ शारीरिक व्यायाम... योग का मतलब सिर्फ थोड़ी देर कुछ मन से उछलकूद कर ली या कुछ कलाबाजी कर ली. यही शरीर के लिए घातक हो जाता है.योग एक बड़ी विधा है. यह हमारी संस्कृति,पौराणिक और आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा है ,जिसे अब पूरी दुनिया फॉलो कर रही है."
अब समझते हैं कि आखिर पर ही हम लोग कैसे अपने शरीर को संतुलित और स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करें ,योग करें और प्राणायाम करें.
महिलाएं या तो सही विशेषज्ञ से सीखे. और ऐसा न हो पाने पर महलाएं घर ही कुछ सरल योग कर सकती है.
अथॉराइटिस के लिए योग
पहले योग करने के कुछ समय पहले पानी पिएं. भोजन के तुरंत बाद ये योग नहीं करना है. अब एक सामान्य दरी या मेट पर आरामदायक कपड़े पहन कर बैठ जाएं. शुरुआत में आंखें बंद कर अपने को रिलेक्स कर लें. सुबह उठ कर अपने हाथ पूरी तरह लंबे कर मुट्ठियां बंद कर लें. उसे 5 से 10 बार दोनों दिशा में घुमाएं. फिर कोनी से फोल्ड करें. और फिर पूरे हाथ उठा कर कान से जोड़ लें. ऊपर हथेली से ताली बजाएं. ये सभी योग महिलाओं में होने वाले जोड़ को रिलेक्स करेगा.ऐसे ही पैरों को रिलेक्स कर पंजों को क्लॉक और एंटी क्लॉक वॉइस घुमाएं. उन्हें फोल्ड करें. बिना सहारे उठें. और फिर बैठें. ऐसा कम से कम पांच बार करें. या पैरों के जोड़ में,घुटने के दर्द में आराम देगा.
थॉयरॉइड और सर्वाइकल से निजात
महिलाओं का अधिक समय किचन में जाता है. कुकिंग में फिर मोबाइल में गर्दन झुकी रहती है. यह सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल का बन जाता है. ऐसे में महिलाओं को गर्दन का योग करना चाहिए. अपनी गर्दन को पूरी ऊपर ले जाकर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लाना है. गर्दन को नीचे नहीं ले जाना है. ऐसे ही गर्दन को पहले लेफ्ट फिर राइट घुमाना है. ध्यान रहे यह प्रक्रिया बहुत ही धीरे करें. अन्यथा चक्कर आ सकते हैं. अपने पैरों को लंबा कर बिना मौडे जहां तक दर्द न हो अपने हथेलियों को पैरों के पंजे तक टच करने की कोशिश करें. फिर शरीर को आराम दें. यह बहुत लाभ देगा. बॉडी फ्लेक्जिबल होगी.यदि वेट ज्यादा है और कोई बीमारी नहीं है तो रस्सी कूद कर अपने को फिट बना सकते हैं.
ऊर्जा का खजाना प्राणायाम
हमारे योग शास्त्रों में योग के बाद प्राणायाम को जगह दी गई. यह क्रम सोच समझ कर बनाया गया. योग,व्यायाम में किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर और ह्रदय की गति तेज़ हो जाती है. इसे प्राणायाम से कंट्रोल किया जाता है. यदि आप योग न भी करें तो भी प्राणायाम जरूर कर सकते हैं. यह हमारे मन की ऊर्जा का खजाना है. आप एक स्थान पर बैठ जाएं. आंखें बंद कर लें. बिलकुल शांतचित्त.... और धीरे-धीरे पहले ॐ का उच्चारण करें. यह उच्चारण हमारे नाभि तक रिदम देता है. फिर गहरी सांस लें. सांस कुछ देर अंदर रोक फिर बाहर छोड़ें. यह आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर देगा. योग में तेज़ धड़कन और सांस के अलावा सारी एक्टिविटी तेज़ हो जाती है. कॉर्बन डाई ऑक्साइड भी अधिक बनती है ,जो प्राणायाम के साथ संतुलित हो जाती है. यह धारणा भी हटा दें कि ध्यान और प्राणायाम में विचार स्थिर नहीं रहते. विचार भटकते हैं.आप सहज रहिए. विचारों के प्रवाह को रोकने की बजाए आप प्राणायाम की गतिविधि ध्यान, कपालभांति ,भ्रामरी और अनुलोम-विलोम को उतना ही करें जितना आपका शरीर सहजता से कर सके.
योग विशेषज्ञ पूजा कई लोगों को देश -विदेश में योग-प्राणायाम सीखा चुकीं हैं (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
यदि कोई महिला किसी भी कारण से जिम सेंटर्स न जा पा रही तो निराश होने की जगह अपने घर में ये सामान्य योग करे. यह पर्याप्त है. और कभी विशेषज्ञों के निःशुल्क कैंप लगें तो आप शामिल होने का प्रयास करें.महिलाओं को हार्मोनल चेंज ,थॉयरॉइड ,सर्वाइकल ,जॉइंट पेन जैसी बिमारियों में आराम मिलेगा. प्राणायाम से मन प्रसन्न होगा. वक़्त मिले तो कम से कम दो सौ कदम शूज़ पहन कर टहलिए.जो महिलाएं सोशल मिडिया के चक्कर में आ कर एक्सरसाइज़ कर रहीं थी वे अब सरल उपाय से स्वस्थ हैं.
पूजा शर्मा
(इंटरनेशनल योग विशेषज्ञ, रिसर्चर इन योग एंड मेडिटेशन)