आर्थिक सशक्तिकरण की राह पर ग्रामीण महिलाएं

ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर 2018  -19 में 19.7% से बढ़कर 2020 - 21 में 27.7% हुआ हैं. रूरल डिपाजिट में विमेंस डिपॉजिट्स कि संख्या 25% से बढ़कर 2023 में 30% हो गई हैं. अगर हम PMJDY लाभार्थियों की बात करें तो  इसमें 55% से अधिक महिलाएं हैं. 

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हेमा वाजपेयी
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Image Credits : Women On Wings

ग्रामीण भारत में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का महत्व

ग्रामीण भारत में महिलाओं की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आ रहा है, महिलाएं रूढ़िवादिता को तोड़कर अपने अधिकारों को पहचान रहीं है. SBI बैंक (SBI Bank) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में महिलाओं की राशि में 4,618 रूपए की वृद्धि हुई है, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सशक्त बनने का मौका मिल रहा है. अधिकांश महिलाएं प्रमुख डिसीजन मेकर्स के रूप में कार्यभार संभाल कर, अपने आय स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से नए उद्योगों की तलाश में है. इससे उन्हें जॉब क्रिएटर बनने का मौका मिला है. 

लोन (Loan), प्रौद्योगिकी तक पहुंच, वर्ल्ड बैंक (World Bank) जैसी एजेंसीज, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (self help groups) और नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशंस (NGO) और अन्य संस्थान द्वारा अधिक सक्रिय दृष्टिकोण और प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत महिला समूहों को शून्य ब्याज़ के दर पर लोन मिलने से बैंक खातों में तेजी से विस्तार हो रहा हैं. इन्हीं कुछ कारणों की वजह से ग्रामीण महिलाओं में बदलाव की शुरुआत हुई हैं. आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) 2018  -19 में 19.7% से बढ़कर 2020-21 में 27.7% हुआ हैं. रूरल डिपाजिट में विमेंस डिपॉजिट्स कि संख्या 25% से बढ़कर 2023 में 30% हो गई हैं. अगर हम PMJDY लाभार्थियों की बात करें तो  इसमें 55% से अधिक महिलाएं हैं. 

कुछ वर्षों पहले देखा जाए, तो महिलाएं मुख्य रूप से कृषि के काम में लगीं थीं, लेकिन अब अपने आय के स्तर को बढ़ावा देने के लिए  वैकल्पिक रोजगार के लिए नए-नए उद्यमों की तलाश कर रहीं, जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिल रहे, साथ ही अलग-अलग संसथान और बैंकों के द्वारा दी जा रहीं योजनाएं और कार्यक्रम, उन्हें आर्थिक सहायता दिलाने में मदद कर रहे हैं. 

ग्रामीण क्षेत्रों में ये बदलाव उदाहरण के रूप में शाबित हो रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी हैं दरभंगा कि रहने वाली कलापा झा की, जिन्होंने अपनी भाभी उमा झा के साथ बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र से अचार और चटनी का ब्रांड स्टोर लांच किया, अब वह अपने परिवार के ख़र्चे खुद संभाल रहीं है.

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए पुरे देश में प्रयास किये जा रहे हैं. इससे महिलाओं में आर्थिक स्वतंत्रता में सुधार आएगा. महिलाएं भी सामर्थ्य और साहस के साथ रूढ़िवादिता को छोड़कर आगे बढ़कर, सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित हो रहीं. 

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