सामाजिक मानदंड की माने तो आर्थिक ज़िम्मेदारियां पुरुषों की हैं और घरेलु ज़िम्मेदारियां महिलाओं की. लेकिन, कई परिस्थितियों में देखा गया कि महिलाओं को दोहरी ज़िम्मेदारियां पूरी करनी पड़ी - घरेलु कामकाज के साथ आमदनी कमाने की. इस चुनौती से लड़ने में स्वयं सहायता समूह (self help group) महिलाओं की सहायता कर रहे हैं. SHG से जुड़ ये महिलाएं आर्थिक आज़ादी (financial freedom) हासिल कर रही हैं.
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SHG लोन के साथ महिलाएं बढ़ रहीं उद्यमिता की ओर
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है तेलंगाना (Telangana SHG) में बसा पचरला स्थित झांसीरानी महिला पोडुपु संगम. इस समूह में 10 सदस्य हैं. कुल मिलाकर, उनके रजौली प्रखंड में हर परिवारों में 40 सदस्य हैं, जिनमें 18 बुजुर्ग और 14 वर्ष से कम उम्र के 28 बच्चे शामिल हैं. बचत संघ स्वरोजगार के लिए 10 से 20 लाख रुपये तक का ऋण सुरक्षित कराता है. उनके सदस्य अपने व्यवसाय शुरू कर आय अर्जित कर रहे हैं, जैसे पद्मा किराने की दुकान चला रही है, झांसीरानी एसोसिएशन की प्रमुख श्रीवानी बोया कंप्यूटर सेंटर का प्रबंधन कर रही हैं और इसकी दूसरी प्रभारी गुग्गिला जयम्मा मिर्च ग्राइंडर इकाई संचालित करती हैं.
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जोगुलम्बा गडवाल जिले में 310 ग्राम संगठन की 90,800 महिला सदस्य ले रहीं ऋण
बचत संघों में महिलाएं आमतौर पर दो साल के भीतर अपने बैंक ऋण चुका देती हैं (SHG loan success). आर्थिक आज़ादी हासिल करने के अलावा, वे उद्यमिता के ज़रिये 10 और रोजगार पैदा करती हैं. वर्तमान में, जोगुलम्बा गडवाल जिले में 310 ग्राम संगठन हैं जिनमें 90,800 सक्रिय महिला सदस्य ऋण ले रही हैं. इन समूहों से कुल 1,555 व्यावसायिक इकाइयां जुड़ी हुई हैं.
ग्रामीण गरीबी उन्मूलन सोसायटी (SERP) की डिस्ट्रिक्ट वाइज क्रेडिट फ्लो रिपोर्ट से पता चलता है कि 4,074 SHGs के लिए 2023-24 का लक्ष्य 170.72 करोड़ रुपये है. जोगुलाम्बा गडवाल जिले में बचत समितियों ने 2021-22 में कुल 148.13 करोड़ रुपये के बैंक लिंकेज ऋण हासिल किए थे. प्रभावशाली रूप से, इन उद्यमशील महिलाओं ने पहले ही बैंकों को 141 करोड़ रुपये चुका दिए हैं.
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बचत संघ-संबंधित व्यवसायों के ज़रिये हुई आय में बढ़ोतरी
मज़दूरी या खेती के ज़रिये जो महिलाएं पहले कुछ भी नहीं कमा पा रही थीं, उन्होंने बचत संघ-संबंधित व्यवसायों के ज़रिये अपनी आय में बढ़ोतरी की है. झांसीरानी एसोसिएशन की सदस्य, सरस्वती गौंडला ने दो भैंस और एक हल खरीदने के लिए अपने SHG ऋण का इस्तेमाल किया. अब वह स्थानीय दुग्ध केंद्र में प्रतिदिन दूध बेच रही हैं.
राजोली सामुदायिक समन्वयक बोइना बुकन्ना ने बताया कि 2021 में किए गए गौंडला के 1 लाख रुपये के निवेश से अब तक 3 लाख रुपये की वार्षिक आय हुई है.
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समूह की महिलाओं (women SHG) ने बचत की एहमियत को समझ, दूसरी महिलाओं को भी समूह से जोड़ा. आज वह आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ रही हैं. समूह ने दूसरों से मदद मांगने की जगह खुद आर्थिक आज़ादी हासिल करने के लिए उद्यमिता की ज़रुरत समझाई.
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