भारत और नृत्य का संबंध अत्यंत प्राचीन और गहरा है. हमारी सांस्कृतिक परंपरा में नृत्य का एक विशेष स्थान है, यह हमारे त्योहारों, धार्मिक कार्यक्रमों और सामाजिक उत्सवों का एक खास हिस्सा है. यह हमारे देश, यहां की संस्कृति, परंपरा, इतिहास और मिथकों को संजोये हुए है और हमारी संस्कृति के सबसे सशक्त माध्यमों में से एक है.
नृत्य जगत (Indian Classical Dance) में सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) उन चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने इस कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. उनका नाम भारतीय नृत्य कला में तो मशहूर है ही, साथ ही विश्व स्तर पर भी उनकी प्रतिभा का लोहा माना जाता है. सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) की कहानी सिर्फ उनके नृत्य की बात नहीं करती है बल्कि उनके जीवन के संघर्षों और उपलब्धियों की भी गवाही देती है.
बचपन से ही नृत्य था लक्ष्य
सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) को बचपन से ही नृत्य में गहरी रुचि थी. महज़ 7 साल की उम्र में उन्होंने नृत्य कला को अपना लिया था. उन्होंने कथक और भरतनाट्यम में फॉर्मल ट्रेनिंग लेनी शुरू की. सोनल जल्द ही दोनों नृत्य शैलियों में अपनी गहरी समझ और कौशल के लिए जानी जाने लगीं. उनकी अदाएं और अंदाज़ लोगों का मन मोह लेते थे.
वह बताती हैं कि कैसे जब उन्होंने नृत्य को अपना करियर चुना तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्हें उनके परिवार से नृत्य के लिए हमेशा प्रोत्साहन मिला पर करियर के लिए घरवालों ने हमेशा उन्हें एक Lawyer की तरह देखा और नृत्य को केवल एक hobby या side interest के तौर पर.
क्यूंकि सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) के दादा भी पेशे से एक वकील और भारत के पहले पांच गवर्नर्स में एक रहे हैं, उनके लिए अपने मन का करियर चुनना चुनौतीपूर्ण था, पर कहते है ना "जहां चाह वहां राह", उन्होंने उन चुनौतियों का डट कर सामना किया और शायद इसी का नतीजा है कि वह हर महिला के जीवन में चल रहे संघर्षों को भली भांति समझती हैं और मदद करतीं हैं.
जब डॉक्टर ने कहा "नहीं कर सकेंगी नृत्य"
सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) को जीवन में कई लड़ाइयां लड़नी पड़ी हैं. उनके करियर के शुरुआती दौर में ही उन्हें एक ऐसे accident का सामना करना पड़ा जिससे रिकवरी लगभग नामुमकिन थी. डॉक्टर ने तो यह तक बोल दिया था कि उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने में भी दो साल तक लग जाएंगे पर वह नृत्य नहीं कर पाएंगी. लेकिन सोनल ने कभी हार नहीं मानी.
मोंट्रियल के एक काइरोप्रेक्टर ने उनका फ्री में इलाज किया और बिना किसी सर्जरी के 11 महीनों में उन्हें नृत्य के मंच पर उतरने में मदद की. सोनल ने दिल्ली के Ashoka Palace में उस दिन अपनी पहली भरतनाट्यम परफॉरमेंस (Bharatnatyam Dance Performance) दी जो कि ढाई घंटे तक चली. उनकी इसी लगन और समर्पण ने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई.
राष्ट्रपति द्वारा नॉमिनेट हुईं राज्य सभा के लिए
सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) ने केवल नृत्य कला में ही नहीं, बल्कि समाज सेवा में भी अपनी एक विशेष पहचान बनाई है. उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए विभिन्न पहल की हैं जिससे समाज में उनकी स्थिति में सुधार हो सके. उनकी यह कोशिशें उन्हें केवल एक कलाकार से ज्यादा, एक समाज सुधारक के रूप में स्थापित करती हैं.
उनकी इसी कड़ी लगन का फल था कि राष्ट्रपति ने उनका नाम राज्य सभा के लिए नॉमिनेट किया.
सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) की कलात्मक यात्रा और समाज के प्रति उनकी सेवा को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया है. उन्हें भारत सरकार द्वारा 'पद्म भूषण' (Padma Bhushan 1992) और 'पद्म विभूषण' (Padma Vibhushan 2003) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जो उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों का प्रमाण हैं. सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) को कला और समाज की तरफ दिए गए योगदान के लिए 2019 में भारत सरकार द्वारा Lifetime Achievement Award से भी सम्मानित किया गया है.
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सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) का जीवन और करियर युवा कलाकारों के लिए एक प्रेरणा है. उनकी कठिनाइयों और उपलब्धियों की कहानी इस बात की साक्षी है कि सच्ची लगन और समर्पण से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है. सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) ने ना केवल भारतीय नृत्य कला को विश्व मंच पर पहुंचाया है, बल्कि एक सामाजिक प्रेरक के रूप में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है. उनका जीवन हमें यह दर्शाता है कि कला केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की भावनाओं, संघर्षों और आकांक्षाओं का भी प्रतिबिंब है.