भारत का कथक नृत्य में एक और world record!

Madhya Pradesh में UNESCO World Heritage Site, Khajuraho में 'राग बसंत' की लय पर कथक नृत्य करते हुए 1,484 कथक कलाकारों ने Guinness World Record बनाया. यह रिकॉर्ड राज्य सरकार द्वारा आयोजित 50वें खजुराहो नृत्य महोत्सव के उद्घाटन दिवस पर बनाया गया.

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विधि जैन
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Kathak World Record

Image - Ravivar Vichar

भारतीय संस्कृति (Indian culture) की diversity और prosperity के कई पहलू हैं, जिसमें नृत्य (Indian Classical Dance) एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है. नृत्य ना केवल एक कला रूप है बल्कि यह हम भारतीयों और भारतीय संस्कृति की भावनाओं को भी दर्शाता है. यह सामाजिक, धार्मिक, और भावनात्मक अभिव्यक्तियों का एक साधन है जो पीढ़ियों से चली आ रही है.

भारतीय संस्कृति में कुल 8 classical dance है, जिसमें से एक है कथक (Kathak). कथक का अर्थ है 'कहानी कहने वाला'. यह नृत्य शैली अपने अभिनय, चाल, और ताल के लिए जानी जाती है, जिसके माध्यम से नर्तक कहानियों और भावों को व्यक्त करते हैं.

इसी कथक नृत्य शैली में हाल ही में भारत ने Guinness World Records में 1,484 नर्तकों के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करवाया है.

Khajuraho की धरोहर में बनाया world record 

Madhya Pradesh में UNESCO World Heritage Site, खजुराहो (Khajuraho) में 'राग बसंत' की लय पर कथक नृत्य करते हुए 1,484 कथक कलाकारों ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) बनाया. यह रिकॉर्ड राज्य सरकार द्वारा आयोजित 50वें खजुराहो नृत्य महोत्सव के उद्घाटन दिवस पर बनाया गया.

इस world record के मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा, "भगवान नटराज महादेव को समर्पित यह साधना भारतीय संस्कृति का गौरव बनेगी और भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेगी. नृत्य और साधना ईश्वर की पूजा का मार्ग है." उन्होंने यह भी कहा कि "नृत्य भगवान से सीधे संपर्क का एक पवित्र माध्यम है.'

आदिवासी और लोक कला प्रशिक्षण के लिए होगी गुरुकुल की स्थापना

इस उपलब्धि के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खजुराहो में आदिवासी और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिए देश का पहला गुरुकुल स्थापित करने की घोषणा भी की. उन्होंने कहा कि "प्रस्तावित गुरुकुल की कल्पना इस तरह की जाएगी कि ग्रामीण जीवन में उनके समग्र विकास के साथ-साथ पारंपरिक कौशल और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों की रक्षा भी की जाए. इसके साथ ही, पूर्वजों की विरासत का भी विस्तार होगा.'' 

भारत में अपनी संस्कृति की और लौटने में यह कदम यक़ीनन अहम भूमिका निभाएंगे. इससे पहले भी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में तानसेन समारोह के तहत ताल दरबार कार्यक्रम में एक साथ बजाने वाले 1282 तबला वादकों की प्रस्तुति को भी गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान मिला है.

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