Female Fans के उत्साह को 'cringe' का नाम क्यों?

Female fans की "cringe" और "sappy" के रूप में धारणा लंबे समय से चले आ रहे gender stereotype का नतीजा है जो महिलाओं की भावनाओं को कम महत्व देती है. यह रूढ़िवादी सोच हमें हर जगह दिखती है. फिर चाहे वह sports, music या literature ही क्यों न हो.

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विधि जैन
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Why female fandoms are deemed as cringe and sappy

Image - Ravivar Vichar

एक भाई अपनी बहन को जो कि अपने favorite singer का Live Interview देख रही थी, TV के सामने से हटने को बोल देता है क्योंकि उसे TV पर आ रहे 3 महीने पुराने football match के highlights देखने थे... बहन के मना करने पर उसे कह कर चुप करा दिया जाता है कि उसका interest इतना ख़ास नहीं है जितना भाई का football में है! 

कितनी अजीब बात है ना! इस society में वह लोग जो किसी लड़की के celebrity preference को cringe का नाम दे देते है, वही अपने दोस्तों के साथ बैठ महीनों पुराने फुटबॉल मैच को देखकर excite हो उठते है. आखिर यह hypocrisy कब तक चलेगी? कब तक आपका gender ये decide करेगा कि आप fan हो सकते है या नहीं? अगर हां तो किसके!

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क्या है fandom और कैसे हम इसका हिस्सा है?

यदि आप किसी से पूछते हैं कि वे किसी खास franchise या व्यक्ति के प्रशंसक क्यों हैं. वे आपको अनेक कारण देंगे. यह कारण एक बड़े समूह में अपनेपन को खोजने से लेकर, escapism का एक रूप या यहां तक ​​कि खुद को एक समर्थक के रूप में साबित करने में सक्षम होने तक कुछ भी. जब किसी के प्रति एक जैसी समर्थन देने की सोच रखने वाले लोग एक साथ मिल जाए, तो वह उसे fan culture या fandom का नाम दे देते है.

किसी चीज़ में खुशी और संतुष्टि पाने में सफल होना बहुत अच्छी बात है और अगर आप एक fandom के माध्यम से उन्हें व्यक्त करने में सक्षम हैं तो यह और भी बेहतर है. Fan culture को लेकर यह लोगों की आम राय प्रतीत होती है.

Fan culture को पिछले कुछ सालों में अधिक व्यापक रूप से अपनाया गया है. इसका विचार उस चीज़ से कहीं आगे तक फैला हुआ है जिसे पागलपन माना जाता है. लेकिन वो सिर्फ पुरुषों के लिए. जहां male fans के लिए जूनून कहा जाता है, वहीं female fans के लिए तो आज भी इसे महज़ पागलपन का ही नाम दिया जाता है.

Female fandoms के लिए society में आज भी है acceptance की कमी!

Female fans की "cringe" और "sappy" के रूप में धारणा लंबे समय से चले आ रहे gender stereotype का नतीजा है जो महिलाओं की भावनाओं को कम महत्व देती है. यह रूढ़िवादी सोच हमें हर जगह दिखती है. फिर चाहे वह sports, music या literature ही क्यों न हो.

इस सोच के पीछे कई कारण हो सकते है. पर उन सभी कारणों की जड़ एक ही है, बरसों से चलता आ रहा 'gender based stereotype'. समाज अक्सर अलग-अलग genders के लिए "उचित" रुचियों और व्यवहारों के बारे में रूढ़िबद्ध सोच रखता है. जब महिलाएं किसी चीज़ के लिए आतुर उत्साह व्यक्त करती हैं, तो उनके व्यवहार को पुरुषों के समान व्यवहार की तुलना में नकार दिए जाने या उचित ना समझे जाने की अधिक संभावना है.

इसके अलावा, महिलाएं, विशेषकर वे जो आगे आ कर अपने विचार और भावनाएं व्यक्त करने में विश्वास रखती हैं, अक्सर social media पर मौजूद gatekeepers का शिकार बन जाती है, जो उनके knowledge , enthusiasm और dedication पर सवाल उठाते है. यह female fans का हौंसला और उत्साह कम कर देता है और fan culture में उन्हें accept न कर उन्हें 'cringe' का नाम दे दिया जाता है.

आखिर में, female fans की अधिकांश आलोचना का श्रेय gender inequality और hypocrisy को दिया जा सकता है। पुरुषों का उत्साहित होना, विशेष रूप से sports के लिए, अक्सर वफादारी और जुनून के संकेत के रूप में देखा जाता हैं. इसके विपरीत, महिलाओं की समान प्रतिक्रिया को पागलपन, over-reaction या knowledge की कमी के रूप में लेबल कर दिया जाता है.

अधिक समावेशी और सम्मानजनक fan culture या fandom बनाने के लिए इन stereotypes को पहचानना और उनसे लड़नाआवश्यक है. इसमें gender को बाहर रख एक fan के उत्साह को स्वीकार करना और उस पुरानी सोच को खत्म करने के लिए काम करना शामिल है जो महिलाओं के हितों और fans की भावनाओं को कम आंकते हैं.

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