SHG की मदद से IAS बनने का सपना हुआ पूरा

पढ़ाई में पैसे कम पड़े, तो उनकी मां ने SHG से जुड़कर गाय खरीदने के लिए 18 हज़ार रूपए का लोन लिया. इस राशि से रमेश ने पढ़ाई पूरी की. रमेश ने यूपीएससी की तैयारियां शुरू कर दी. वर्ष 2012 में रमेश घोलप ने 287वीं रैंक के साथ झारखंड कैडर के आईएएस अफसर बन गए. 

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Ramesh Gholap IAS

Image Credits: Jansatta

रमेश घोलप के पिता गोरख घोलप साइकिल के पंक्चर बनाने की दुकान चलाते थे और मां विमल देवी चूड़ियां बेचा करती थीं. रमेश कभी पिता तो कभी मां का हाथ बंटाया करते. रमेश ने गांव के सरकारी स्कूल से शुरुआती शिक्षा ली. साल 2005 में 12वीं कक्षा में थे तब पिता की मौत हो गई. उन्होंने 12वीं बोर्ड परीक्षा में 88.5 % अंक हासिल किए. एजुकेशन में डिप्लोमा करने के बाद वे गांव के ही एक स्कूल में पढ़ाने लगे. डिप्लोमा के साथ ही उन्होंने बीए की डिग्री भी ली. 

जब उन्हें अपनी पिता की निधन का दुखद समाचार मिला तो वे अपने गांव जाने के लिए दौड़े. लेकिन, उनके पास बस का किराया भी नहीं था जो मात्र 7 रूपये हुआ करता था, रमेश के विकलांग (दिव्यांग) होने की वजह से उन्हें सिर्फ 2 रूपये चाहिए थे. एक पड़ौसी की मदद से वे अपने गांव पहुंच पाए. पढ़ाई में पैसे कम पड़े, तो उनकी मां ने SHG से जुड़कर गाय खरीदने के लिए 18 हज़ार रूपए का लोन लिया. इस राशि से रमेश ने पढ़ाई पूरी की. मां चाहती थी बेटा बड़ा अफसर बने ताकि गरीबी की कुचक्र से जल्दी बाहर निकल सके. रमेश ने यूपीएससी की तैयारियां शुरू कर दी. वर्ष 2012 में रमेश घोलप ने 287वीं रैंक के साथ झारखंड कैडर के आईएएस अफसर बन गए. 

आईएएस रमेश घोलप की एक फोटो काफी वायरल हुई जो उनके गांव में खींची गई थी. उस फोटो में उन्हें सड़क किनारे ज़मीन पर एक बुज़ुर्ग के साथ हंसते हुए देखा गया. आज रमेश की सक्सेस स्टोरी (success story) से उनके गांव का बच्चा-बच्चा वाकिफ है.

झारखंड कैडर रमेश घोलप यूपीएससी आईएएस अफसर