रिंदा और अर्धसत्य में क्या समानता है? जाने भी दो यारो, हैदराबाद ब्लूज़, बैंडिट क्वींस, या 1942: ए लव स्टोरी को जोड़ने वाली कड़ी क्या है? इन सभी यादगार फिल्मों की क्रिएटिव फ़ोर्स रहीं है रेनू सलूजा.
80 और 90 के दशक में बनी कई फिल्मों में रेनू ने एडिटर की तौर पर काम किया.
परिंदा और अर्धसत्य में क्या समानता है? जाने भी दो यारो, हैदराबाद ब्लूज़, बैंडिट क्वींस, या 1942: ए लव स्टोरी को जोड़ने वाली कड़ी क्या है? इन सभी यादगार फिल्मों की क्रिएटिव फ़ोर्स रहीं है रेनू सलूजा. फिल्म एडिटर वह होता है जो डायरेक्टर के नज़रिये को स्क्रीन पर उतारता है. 80 और 90 के दशक में बनी कई फिल्मों में रेनू ने एडिटर की तौर पर काम किया. नसीरुद्दीन शाह ने सलूजा पर लिखी गई किताब, 'इनविजिबल: द आर्ट ऑफ रेनू सलूजा' के लॉन्च पर कहा, “वह एक एडिटर से कहीं अधिक थीं.वह एक फिल्म निर्माता थीं."