रायगढ़ के छोटे हरदी गांव के स्वयं सहायता समूह की ललिता गुप्ता और शुभलया चौहान जिले के पॉवर लूम में काम कर ज़िंदगी गुजार रही थी. ललिता कहती है- "इस यूनिट में काम कर कुछ समय में ही ज़िंदगी पटरी पर आ गई. यहां तो ट्रेनिंग तक में पैसा मिला."
रायगढ़ (Raigarh) के छोटे हरदी (Chhoti Hardi) गांव के स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की ललिता गुप्ता और शुभलया चौहान जिले के पॉवर लूम (Power Loom) में काम कर ज़िंदगी गुजार रही थी. ललिता कहती है- "पॉवरलूम में पूरे दिन काम करने के बाद भी इतनी कमाई नहीं होती थी. इस यूनिट में काम कर कुछ समय में ही ज़िंदगी पटरी पर आ गई. यहां तो ट्रेनिंग तक में पैसा मिला." इस यूनिट में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को ही काम दिया.'
समूह से जुड़ी शुभलया बताती है - "मैं पॉवरलूम में सिर्फ धोती बनाती थी. ज्यादा कमाई नहीं होती,जबकि बहुत मेहनत की. यहां आने के बाद रोज काम के साथ पैसा भी मिला. अब बच्चों को अच्छे स्कूल में भेज रही."