झाबुआ की गुड़िया और आदिवासी संस्कृति राष्ट्रपति भवन तक पहुंची. इस संस्कृति को बचाने और गुड़िया बनाने वाले दंपति को पद्मश्री से भी नवाज़ा गया. आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए झाबुआ में कई संस्थाएं काम कर रहीं.
झाबुआ की गुड़िया और आदिवासी संस्कृति राष्ट्रपति भवन तक पहुंची. इस संस्कृति को बचाने और गुड़िया बनाने वाले दंपति को पद्मश्री से भी नवाज़ा गया. आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए झाबुआ में कई संस्थाएं काम कर रहीं. इस काम में स्वयं सहायता समूह सहित दूसरी महिलाओं को रोजगार मिल रहा. झाबुआ जिले को आदिवासी पिछड़े जिले में माना जाता था, आज वहीं की संस्कृति विदेशों तक अपनी छाप छोड़ रही. बात यहीं ख़त्म नहीं होती. अब यहां खासकर महिलाएं इस आदिवासी संस्कृति को बचाने में जुटीं है. इन महिलाओं ने झाबुआ की गुड़िया को बनाकर जहां कल्चर को बचाया.