प्रताड़ना को बनाई ताकत अब घरेलु हिंसा से जंग

हद तब हो गई जब वह दूसरी महिला को घर ले आया. मुझे चार बच्चों के साथ छोड़ दिया. बस वह आखरी दिन था. मैं आजीविका मिशन से जुड़ी. कमाई भी शुरू हुई और अब लिंगभेद प्रताड़ना की शिकार दूसरी महिलाओं के लिए लड़ाई लड़ रही हूं.

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पेटलावद में  लोक अधिकार केंद्र पर सुनवाई करती हुई निर्मला (Image Credit: Ravivar Vichar) 

प्रताड़ना को बनाई ताकत अब घरेलु हिंसा से जंग 

"घरेलु हिंसा को झेला. कुछ समय सहन भी किया.सोच कर कि पति की आदत सुधर जाएगी. पर हद तब हो गई जब वह दूसरी महिला को घर ले आया. मुझे चार बच्चों के साथ छोड़ दिया. बस वह आखरी दिन था. मैं आजीविका मिशन से जुड़ी. कमाई भी शुरू हुई और अब लिंगभेद प्रताड़ना की शिकार दूसरी महिलाओं के लिए लड़ाई लड़ रही हूं." झाबुआ (Jhabua) जिले के छोटे से गांव बरड़िया की रहने वाली निर्मला मेड़ा ने गर्व से बात बताई. निर्मला अब नारी शक्ति संकुल संगठन पेटलावद (Petlawad) ब्लॉक की अध्यक्ष भी है. 

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वन स्टॉप सेंटर पर आजीविका मिशन के अधिकारी और निर्मला (Image Credit: Ravivar Vichar)   

मिशन ने बदली ज़िंदगी  

निर्मला के लिए बाल विवाह मुसीबत बन गया. झाबुआ के पेटलावद ब्लॉक के सोयता गांव की निर्मला ने दसवीं तक पढ़ाई की. बचपन में ही बरड़िया गांव शादी हो गई. चार बच्चे हैं.पति शराब पीकर मारता. कई बार अस्पताल तक ले जाना पड़ा. आखिर निर्मला ने घरेलु हिंसा (Domestic Voilence) से तंग आकर लंबी लड़ाई लड़ने का फैसला लिया. गांव में अधिकारियों ने आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) से जोड़ा. मां अंबे स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) बना कर अध्यक्ष की जवाबदारी ली.

पेटलावद  (Petlawad) के ब्लॉक मैनेजर (BM) अर्पित तिवारी बताते हैं-  "निर्मला मेड़ा की परेशानियां ख़त्म नहीं हो रही थी. मिशन ने हिम्मत दिलाई. उन्हें जेंडर ट्रेनिंग दिला आकर आत्मनिर्भर बनने के लिए हौसला बढ़ाया. जल्दी ही निर्मला ने नई ज़िंदगी की राह पकड़ ली. वह बैंकिंग के साथ ख़ास बात वन स्टॉप सेंटर, पुलिस कोऑर्डिनेशन के साथ कमान संभालने लगी." 

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घरेलु हिंसा के खिलाफ एकजुट करती निर्मला मेड़ा (Image Credit: Ravivar Vichar)            

ज़िद से बनी रोल मॉडल

निर्मला ने पति प्रताड़ना की प्रताड़ना को ताकत बना कर दूसरी महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई. जेंडर ट्रेनिंग और महिलाओं की सुरक्षा के साथ घरेलु हिंसा (Domestic Voilence)के खिलाफ दूसरी महिलाओं को जागरूक कर रही. निर्मला आगे बताती हैं- "मैंने हिम्मत नहीं हारी. बच्चों को आजीविका मिशन से होने वाली कमाई से पढ़ा रही हूं.खुद आगे पढ़ाई के लिए तैयारी कर रही. पेटलावद ब्लॉक के लोक अधिकार केंद्र में पेंडिंग 17 प्रकरणों में से दस प्रकरणों का निराकरण कर दिया. बचे हुए सात प्रकरण का भी निराकरण जल्दी करेंगे." समूह की महिलाएं बकरी पालन, किराना, सिलाई आदि गतिविधियां चला कर कमाई कर रहीं. महिला-पुरुषों में लिंग भेदभाव (Gender Discrimination) के लिए लगातार महिलाओं की काउंसलिंग करती हैं.     

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