New Update
भारतीय समाज एक पुरुष प्रधान समाज है. कानून, शिक्षा, धर्म, परंपराओं, और संस्थाओं के ज़रिये पितृसत्ता की जड़ों को मज़बूती दी जाती है. साहित्य समाज को आइना दिखाता है. सही-ग़लत के बीच, साहित्य असलियत दिखाकर, पाठक को समाज में मौजूद असमानता पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर करता है. कुछ इसी तरह के साहित्यकार है विक्रम सेठ.
/ravivar-vichar/media/agency_attachments/lhDU3qiZpcQyHuaSkw5z.png)
 Follow Us