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Image Credits: Ravivar Vichar
जब हम बजट की बात करते हैं, तो टैक्स स्लैब, इंफ्रास्ट्रक्चर और GDP पर चर्चा होती है — लेकिन क्या कभी हम ये सोचते हैं कि उस बजट में महिलाओं के लिए क्या रखा गया है? क्या हर नीति, हर खर्च, हर योजना में महिलाओं की हिस्सेदारी और उनकी जरूरतें बराबरी से शामिल की जाती हैं?
यही सवाल और उसका समाधान लाता है - Gender Budgeting. यह सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि भारत जैसे विविधता-भरे देश में समानता और समावेशिता (inclusion) की ओर उठाया गया एक ठोस कदम है.
Gender Budgeting क्या है? (What is Gender Budgeting?)
Gender Budgeting का अर्थ है बजट प्रक्रिया को इस प्रकार डिजाइन करना और लागू करना कि उसमें सभी लिंगों (men, women, transgender) की आवश्यकताओं, अनुभवों और प्राथमिकताओं को जगह दी जाए. यह केवल महिलाओं के लिए अलग बजट बनाने की बात नहीं करता, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि हर योजना में लिंग आधारित न्याय हो.
Gender Budget = Equity in public spending
यह एक विश्लेषणात्मक प्रक्रिया है, जिससे सरकार की नीतियों और खर्चों का मूल्यांकन किया जाता है कि वे समाज के सभी वर्गों खासकर महिलाओं पर क्या प्रभाव डाल रहे हैं.
भारत में Gender Budgeting की शुरुआत कैसे हुई?
भारत सरकार ने 2005-06 के बजट में पहली बार Gender Budget Statement (GBS) पेश किया. यह एक दस्तावेज़ है जिसमें उन योजनाओं को शामिल किया जाता है जो महिलाओं के लिए बनाई गई हैं या जिनका महिलाओं पर सकारात्मक प्रभाव होता है.
तब से अब तक, लगभग 30 से ज्यादा मंत्रालय और विभाग gender budgeting को अपनाकर महिलाओं के सशक्तिकरण में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
इसमें दो हिस्से होते हैं:
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Part A: केवल महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं (100% women-specific schemes)
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Part B: सामान्य योजनाएं जिनमें महिलाओं की भागीदारी भी होती है (30–99% women-benefit)
National Consultation on Gender Budgeting 2025: क्यों अहम है यह आयोजन?
19 जून 2025, नई दिल्ली में Ministry of Women and Child Development (MoWCD) द्वारा आयोजित यह राष्ट्रीय परामर्श एक अहम मंच है. इसमें विभिन्न राज्यों के वित्त अधिकारी, नीति आयोग, अकादमिक संस्थाएं, और NGO शामिल होकर यह चर्चा करेंगे कि Gender Budgeting को और अधिक प्रभावशाली कैसे बनाया जाए.
यह परामर्श ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत आर्थिक विकास के नए लक्ष्य तय कर रहा है, और इसमें महिलाओं को समान भागीदारी देना अनिवार्य हो गया है.
भारत में Gender Budget के आंकड़े (2024–25 के अनुसार)
स्कीम / मंत्रालय | बजट आवंटन (₹ करोड़) | महिला-लाभ केंद्रित (%) |
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प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना | 2600 | 100% |
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ | 300 | 100% |
जननी सुरक्षा योजना | 1800 | 100% |
महिला हेल्पलाइन (181) | 100 | 100% |
POSHAN 2.0 | 20200 | ~60% |
DAY-NRLM (महिला स्व-सहायता समूह) | 14000 | ~70% |
Skill India (महिला प्रशिक्षण) | 2400 | ~40% |
अन्य देशों में Gender Budgeting की स्थिति
देश |
शुरुआत वर्ष | प्रमुख पहलें |
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ऑस्ट्रेलिया | 1984 | पहला देश जिसने Gender Budget लागू किया |
दक्षिण अफ्रीका | 1995 | संसद में Gender Budget unit की स्थापना |
कनाडा | 1995 | Gender-based Analysis Plus (GBA+) नीति |
नेपाल | 2007 | बजट का 33% Gender Responsive होना अनिवार्य |
भारत दक्षिण एशिया में पहला ऐसा देश है जिसने institutionalized Gender Budgeting cells की स्थापना की.
Gender Budgeting के लाभ (Why it matters)
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नीति-निर्माण में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करता है
बजट से जुड़ी योजनाओं में महिलाओं की ज़रूरतें, जैसे स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा को प्राथमिकता मिलती है. -
जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाता है
Gender Budget ministries को यह दिखाने के लिए बाध्य करता है कि उनका पैसा किस समूह के लिए कितना उपयोगी है. -
अंतरराष्ट्रीय Sustainable Development Goals (SDGs) से मेल खाता है
विशेष रूप से SDG-5: Gender Equality.
Gender Budgeting की चुनौतियां
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डेटा की कमी: अधिकांश योजनाओं में Gender-wise खर्च या प्रभाव का डेटा मौजूद नहीं होता.
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राज्य सरकारों की अनिच्छा: कई राज्य सरकारें इसे सिर्फ कागज़ी काम मानती हैं.
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कर्मचारियों का प्रशिक्षण: विभागीय अधिकारियों को gender budgeting का व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं दिया जाता.
क्या Gender Budget सिर्फ महिलाओं के लिए है?
नहीं, यह एक समावेशी प्रक्रिया (inclusive process) है जो यह सुनिश्चित करती है कि बजट में हर जेंडर के लिए न्याय हो — चाहे वह महिला हो, पुरुष, ट्रांसजेंडर या अन्य.
Ravivar Vichar जैसे मंच की जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं की कहानियों के साथ-साथ नीति-निर्माण के ऐसे टूल्स पर भी प्रकाश डाले, जिनका प्रभाव हज़ारों महिलाओं के जीवन पर पड़ता है.
जब Ravivar Vichar Gender Budgeting को आम भाषा में सरल तरीके से समझाता है, तब वह ground-level और policy-level feminism को एक साथ जोड़ता है.
Frequently asked questions about Gender Budgeting
Q1: Gender Budgeting क्या है और यह क्यों जरूरी है?
Gender Budgeting वह प्रक्रिया है जिसमें किसी भी सरकारी बजट की योजनाओं, नीतियों और संसाधनों का विश्लेषण इस दृष्टिकोण से किया जाता है कि उसका प्रभाव महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग कैसे पड़ता है. इसका उद्देश्य महिलाओं की जरूरतों को पहचानकर उन्हें बजट में प्राथमिकता देना है. यह इसलिए जरूरी है क्योंकि पारंपरिक बजट प्रक्रिया में अक्सर महिलाओं की विशिष्ट समस्याएं और ज़रूरतें अनदेखी रह जाती हैं.
Q2: भारत में Gender Budgeting की शुरुआत कब और कैसे हुई?
भारत में Gender Budgeting की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2005-06 में हुई जब केंद्र सरकार ने बजट में Gender Budget Statement (GBS) को शामिल किया. इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कई मंत्रालयों और राज्यों में Gender Budgeting Cells की स्थापना की ताकि लिंग-समवेत दृष्टिकोण से नीति निर्माण हो सके.
Q3: Gender Budgeting का women empowerment से क्या संबंध है?
Gender Budgeting महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण का आधार है. इसके ज़रिए महिलाओं को विशेष योजनाएं, आर्थिक सहायता, पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं, सुरक्षा और शिक्षा जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाती हैं. यह women empowerment को ground-level से नीति स्तर तक मजबूत बनाता है.
Q4: Gender Budget सिर्फ महिलाओं के लिए होता है या ट्रांसजेंडर और पुरुषों को भी ध्यान में रखता है?
Gender Budget मुख्य रूप से महिलाओं पर केंद्रित होता है लेकिन इसका उद्देश्य समावेशिता (inclusion) है. यह हर जेंडर की जरूरतों को पहचानने और उन्हें नीति में शामिल करने की प्रक्रिया है, चाहे वह महिला हो, पुरुष या ट्रांसजेंडर. कई योजनाएं जैसे महिला हेल्पलाइन, POSHAN 2.0 और शिक्षा कार्यक्रमों में gender-neutral लाभार्थियों को भी शामिल किया जाता है.
Q5: Gender Budget Statement (GBS) में किन दो हिस्सों को शामिल किया जाता है?
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Part A: उन योजनाओं को शामिल किया जाता है जो पूरी तरह महिलाओं के लिए हैं (100% women-specific schemes).
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Part B: ऐसी योजनाएं जिनमें महिलाओं की भागीदारी आंशिक रूप से होती है या जिनका लाभ महिलाओं को भी मिलता है (30–99% women-benefit).
Q6: Gender Budgeting की मुख्य चुनौतियां क्या हैं?
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डेटा की अनुपलब्धता: महिलाओं पर योजनाओं का प्रभाव मापने के लिए gender-disaggregated data की कमी.
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राज्यों में जागरूकता की कमी: कुछ राज्य सरकारें gender budgeting को गंभीरता से नहीं लेतीं.
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ट्रेंड अधिकारियों की कमी: अधिकतर अधिकारियों को gender budgeting की प्रशिक्षण नहीं मिला होता जिससे इसका सही क्रियान्वयन नहीं हो पाता.
Q7: Gender Budgeting को और प्रभावशाली कैसे बनाया जा सकता है?
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सभी योजनाओं का gender impact assessment अनिवार्य किया जाए.
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राज्यों को training और capacity building के ज़रिए जागरूक किया जाए.
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हर विभाग में Gender Budgeting Cell को अनिवार्य और सक्रिय बनाया जाए.
Q8: National Consultation on Gender Budgeting जैसे आयोजनों का क्या महत्व है?
ऐसे आयोजन विभिन्न stakeholders को एक मंच पर लाकर यह समझने का अवसर देते हैं कि Gender Budgeting को ground-level पर कैसे लागू किया जा रहा है, क्या चुनौतियां हैं, और आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए. यह एक collective policy dialogue का अवसर होता है.