स्टील बैंक में बर्तनों की 'एफडी', रिटर्न बेनिफिट सुखद पर्यावरण

एक आयएएस लेडी ऑफिसर की सोच ने जिस काम की शुरुआत की आज वो मिशन बन गया. कई राज्यों में इसकी शुरुआत हो रही. अधिकारी और उनके मिशन 'स्टील बैंक' की यह है अनूठी कहानी.

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स्टील बैंक प्रोजेक्ट को लॉन्च करते हुए राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा Image: Ravivar

तेलंगाना (Telnagana) के सिद्धिपेट (Siddipet) जिला इन दिनों खास चर्चा में है. इस ज़िले में जगह-जगह 'स्टील बैंक' खोली जा रही. हुआ न अचरज ! आपने रुपए पैसों वाली बैंक तो सुनी है,यह कुछ अलग है.  
इस बैंक में न रुपए जमा होते हैं न कोई पासबुक मिलती.फिर भी यहां रिटर्न या ब्याज के रूप में सुखद पर्यावरण और आर्थिक मजबूती मिल रही.    
रविवार टीम ने  इस 'स्टील बैंक' (steel bank) को समझा और धरातल पर देखा. 
इस ज़िले में पदस्थ आयएएस अपर कलेक्टर गरिमा अग्रवाल (Garima Agrwal) की एक सोच ने पर्यावरण सुरक्षा के साथ सामाजिक और आर्थिक बदलाव की नींव रख दी. 
सफलता का पैमाना यह है कि तेलंगाना के राज्यपाल (Governor) जिष्णु देव वर्मा (Jishnu Dev Varma) इस प्रोजेक्ट को स्टेट के लिए लॉन्च किया.   

बर्तनों ने बदली गांव की सूरत  

तेलंगाना में लागू ‘कांति वेलुगु’ कार्यक्रम के दौरान आमजन की आंखों का टेस्ट रोज़ होता.पंचायत इस काम में शामिल लगभग 20 लोगों के खाने की व्यवस्था करती. इस व्यवस्था के लिए दूसरी जगह की तरह ही यहां भी वही प्लास्टिक डिस्पोज़ेबल प्लेट्स सहित और आईटम उपयोग किए जाते, क्योंकि ये सस्ते और आसानी से उपलब्ध थे.इनके उपयोग से हर स्तर पर गंदगी, कचरा और निस्तारण की गंभीर समस्या बन रही थी. स्वास्थ्य और पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ने लगीं.
इससे निपटने के लिए ही अपर कलेक्टर गरिमा अग्रवाल ने नया विकल्प तलाशा और वह पर्यावरण के लिए खास वरदान बन गया.और स्टील (बर्तन) बैंक के रूप में पंचायत में ही बर्तन रख नियमित उपयोग शुरू हुआ.इन बर्तनों ने धीरे-धीरे गांव की सूरत ही बदल दी. प्रशासन ने हर स्तर पर बर्तन उपलब्ध करने के लिए फंडिंग मदद की.

फैशन बन गए स्टील के बर्तन और बैंक 

देखते ही देखते यह प्रोजेक्ट और प्रयोग लोकप्रिय होने लगा.इसके रख रखाव के लिए स्थानीय पंचायत और सेल्फ हेल्प ग्रुप्स ने जवाबदारी संभाली. कई स्थानों और पंचायतों में अब इन बर्तनों का उपयोग फैशन बन गया. इस बैंक में थालियां (प्लेट्स),चम्मच, गिलास, कटोरे, बर्तन (बेसिन आदि) रखे गए. एक संस्था में कम से कम  400 बर्तन का सेट उपलब्ध है.

 

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स्टील बैंक में रखे बर्तन Image: Ravivar

समूह की महिलाओं ने बताया-"हम पंचायत और सरकारी आयोजन के अलावा शादी, जन्मोत्सव, दशगात्र, पंचायत भोज में इन बर्तनों  को नाम मात्र के शुल्क में उपलब्ध करवाते हैं. इससे हमारी कमाई भी शुरू हो गई.और गांव में सफाई में भी सुधार हुआ.हमें ख़ुशी है कि शासन ने हमें इस बैंक के संचालन का मौका दिया." इसी ज़िले के हुस्नाबाद ब्लॉक अंतर्गत 2 छोटे स्टील बैंक ग्राम पंचायतों में सफलतापूर्वक संचालित हो रहे.जबकि 39 बड़े स्टील बैंक स्वयं सहायता समूहों (Self Help Group) को दान किए गए जो बड़े आयोजनों में उपयोग किये जाते हैं. 

प्लास्टिक कचरे पर लगी रोक,स्वास्थ्य पर हुए सजग 

इस मिशन के बाद गांव में परिवारों में होने वाले आयोजनों पर पत्तल-दोने और और प्लास्टिक डिस्पोज़ल पर खर्च बचा.ग्रामीण कहते हैं-"हमें अधिकारी और डॉक्टर्स ने बताया कि प्लास्टिक डिस्पोज़ल से कैंसर और अन्य घातक बीमारी हो सकती है.अब हमारा गांव इस बैंक से बर्तन लाकर ही आयोजन कर रहा." 
हर महीने इन प्लास्टिक सिंगल यूज़्ड डिस्पोज़ल को खरीदने ग्रामीणों का पैसा बचा वहीं अनुमानित 28 क्विंटल प्लास्टिक कचरे में कमी आई.      
इस बैंक की परिकल्पना और प्रोजेक्ट तैयार करने वाली आयएएस गरिमा अग्रवाल कहती हैं-"मुझे बेहद ख़ुशी है कि ग्रामीणजन पर्यावरण सुरक्षा के साथ खुद की हेल्थ के लिए जागरूक हुए.हम अभी तक चाय की दुकानों और होटल्स में अवेयरनेस के लिए 34 हज़ार से ज्यादा स्टील चाय गिलास बांट चुके. इलाके में साढ़े तीन सौ चाय दुकानों पर ये दिए गए.यह मिशन लगातार आगे बढ़ रहा.शासन ने इस प्रोजेक्ट को सराहा."

 

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स्टील बैंक प्रोजेक्ट पर विचार रखती गरिमा अग्रवाल

क्षेत्रीय मंत्री पूनम प्रभाकर ने खास रूचि लेकर चाय दुकानदारों और होटल्स संचालकों को प्रोत्साहित किया. रिसर्च से पता चला कि स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण में तेज़ी से सकारात्मक परिणाम मिल रहे.
इस प्रोजेक्ट को गरिमा अग्रवाल ने लखनऊ में भी नेशनल लेवल प्रजेंटेशन दे चुकीं जिसमें कई राज्यों के डेलिगेशन शामिल हुए थे.कुछ राज्य इस प्रोजेक्ट को शुरू कर चुके हैं.   

इस मिशन और सोच को लेकर गरिमा अग्रवाल कहती हैं-"बचपन से ही environment के प्रति लगाव रहा.सिंगल यूज़्ड प्लास्टिक का उपयोग जाने अनजाने में लोग कर रहे. जो घातक है. पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा यह सामाजिक दायित्व है.मुझे प्रसन्नता है कि लोगों ने हमारी पुरानी परंपरा को निभाते हुए बर्तनों के महत्व को समझा और उपयोग को स्टेटस बनाया."  अभी तक इसी ज़िले में 38 SHG बैंक संभाल रहे.                

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